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के मन्दिर में बड़गच्छ यतिजी का भी अच्छा संग्रह बतलाते हैं। इनमें से पहला संग्रह हमने देखा हैं, दूसरा अभी तक नहीं देख सके ।
(८) राजलदेसर - यहाँ उपकेश गच्छीय यति दौलतसुन्दरजी के पास थोड़ी प्रतियाँ थीं । (१) रतनगढ - वैदों की लाइब्रेरी एवं सोहनलालजी वैद के पास कुछ हस्तलिखित ग्रन्थ हैं । (१०) बीदासर - यति श्री गणेशचन्दजी के पास १५-२० बंडल हस्तलिखित ग्रन्थ हैं । (११) छापर - यहाँ श्री मोहनलालजी दुधेरिया के पास कई चुनी हुई प्रतियाँ एवं प्राचीन चित्रोंका अच्छा संग्रह है ।
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(१२) सुजानगढ़ -- १ यहाँ लोंका गच्छके प्रसिद्ध वैद्यवर रामलालजी यतिके, २ खरतर गच्छीय यति दूधेचन्दजी के, ३ दानचन्दजी चोपड़ा की लाइब्रेरी में, ४ पन्नाचन्द्रजी सिंधी के जैन मन्दिर में हस्तलिखित प्रतियाँ सुरक्षित हैं।
(१३) चूरू - १ यतिवर्य ऋद्धिकरणजी के बड़े उपाश्रय में २००० के लगभग हस्तलिखित प्रतियाँ हैं। उनकी सूची बनी हुई नहीं हैं, हमने अवलोकन किया है । ( २ ) सुराणा लाइनरी -- बीकानेर स्टेट की प्रसिद्ध लाइनरियों में हैं। लाइब्रेरी का भवन अलग बना हुआ है उसमें मुद्रित ग्रन्थोंके साथ करीब २५०० हस्तलिखित ग्रन्थ भी हैं जिनमें कुछ ताड़पत्रीय प्रतियें, चित्रित प्रन्थ, बौद्ध ग्रंथ और चित्रादि विशेष उल्लेखनीय है । सम्मेलनादि अधिवेशनों के प्रसङ्ग पर इस संग्रहकी विशिष्ट वस्तुओंका प्रदर्शन भी कराया जाता है ।
(१४) राजगढ़ – यहाँ के ओसवाल पुस्तकालय में यतिजी के ६ बण्डल हस्तलिखित प्रतियाँ हैं। पर उनमें अधिकांश त्रुटित और फुटकर प्रतियाँ है ।
(१५) रिणी - यति पन्नालालजी के पास थोड़ी प्रतियाँ है । इनके कुछ ग्रंथ लूणकरणसर मैं भी पड़े हैं।
(१६) सरदारशहर - १ यहाँ श्री वृद्धिचन्दजी गधैया के मकान में अच्छा संग्रह है। इनका बहुत वर्षो से संग्रह करनेका प्रयत्न रहा है, तेरापंथी सभामें भी आपके भेंटकी हुई बहुतसी प्रतियाँ हैं । २ तेरापंथी सभामें ७३ बण्डल हस्तलिखित ग्रंथ है जिनमें अच्छी प्रतियाँ है । सरदारशहर के ये दोनों संग्रह चूरू के दो संग्रहालयों की तरह बीकानेर स्टेट के संग्रहालयों में अपना महत्त्व - पूर्ण स्थान रखते हैं। श्री दूलीचन्दजी सेठिया के पास भी कई हस्तलिखित प्रतियाँ हैं जिनमें अधिकांश आधुनिक हैं ।
बीकानेर डिवीजन के अन्य भी कई स्थानोंमें तेरापंथी श्रावकों आदि के पास व्यक्तिगत संमह सुनने में आया है, हमें उनका निश्चित पता न होने से यहां यथाज्ञात संग्रहों का परिचय दिया गया है। बीकानेर एवं डिवीजन के ज्ञानभंडारों में हजारों ग्रंथ अन्यत्र अप्राप्य हैं उनकी एक विशिष्ट सूची यथासमय प्रकाशित करने का विचार हैं, पर अभी थोड़े से दुर्लभ ग्रंथों की सूची दी जा रही है।
"Aho Shrut Gyanam"