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[ ६४ ] सती-प्रथा और बीकानेर के जैन सती-स्मारक
सती-दाह की प्रथा भारतवर्षमें बहुत प्राचीन कालसे प्रचलित थी । वेद-पुराण और इतिहासके प्राचीन ग्रन्थों में इस विषयके पर्याप्त प्रमाण मिलते हैं । इसका कारण तो पतिप्रेम और स्त्रियोंका पारलौकिक विश्वास अर्थात् स्वर्गमें अपने पतिसे मिलनेकी आकांक्षा थी। आर्यावर्त ही क्या ? चीन, जापान, सिथियन्स और द्वीपसमूहमें भी यह प्रथा लोकादर प्राप्त और प्रवृत्त थी।
मुसलमानोंके शासनकाल में जबकि विधवाओंका पतिके युद्ध में मर जाने पर उसकी अविद्यमानतामें शील-पालन महान् कठिन हो गया था, भद्र आर्य महिलाएं जबरदस्ती पकड़ कर बादियां बना ली जाती, उनका ब्रह्मचर्य खण्डन कर दिया जाता था, नाना प्रकारसे त्रास पहुंचाये जाते थे, ऐसी स्थितिमें शील रक्षाका साधन चिता-प्रवेश कर जाना आर्य्यमहिलाओंको बहुत ही प्रिय मालूम हुआ।
अपने पतिदेवके साथ सह-गमन, जौहर या अग्नि-प्रवेशको वीराङ्गनाएं महामाङ्गलिक और आवश्यक कर्तव्य समझती थी। वे लेश मात्र भी कायरता, भीरुता और मोह लाए बिना वस्त्राभूषणोंसे सुसज्जित होकर गाजे बाजेके साथ स्मशानको चिता प्रवेशार्थ जुलूसके साथ जाते समय हाथके केसर-कुंकुमके छापे घरके प्रतोली-द्वार या स्तंभादि पर लगा कर जाती थी जिन्हें शिल्पकार द्वारा उत्कीर्ण करवाकर स्मारक बना दिया जाता था। और स्मशानोंमें जहाँ अग्निसंस्कार होता था वहां चौकी, थड़ा देवली छत्री आदि स्थापित एवं प्रतिष्ठितकी जाती थी, जहां उनके गोत्रवाले सेवा-पूजा, जात दिया करते हैं।
मूर्ति बनानेकी पद्धति भिन्न-भिन्न स्थानों में कई प्रकारकी थी। कलकत्ताके म्यूजियममें सती देवलिए अन्य ही तरहकी हैं किन्तु बीकानेर में जितने भी सती-स्मारक प्राप्त हैं, सबमें घुड़सवार पति और उसके समक्ष हाथ जोड़े हुए सती खड़ी है। जिसका पति विदेशमें मरा हो वह अपने हाथ में उसकी पगड़ी या नारियल लेकर सती होती थी। मूर्ति (देवली) के ऊपर साक्षी स्वरूप चन्द्र और सूर्य्यका आकार भी उत्कीर्ण किया जाता था।
ओसवाल जाति वस्तुतः क्षत्रिय कौम है। उसके पूर्व-पुरुषोंने अपनी स्वामी-भक्ति और वीरता द्वारा गत शताब्दियों में राजपूतानाके राजनैतिक क्षेत्रका जिस कुशलताके साथ संचालन
___ * बीकानेरके पुराने किलेमें ऐसे बहुतसे छापे खुदे हुए हैं। पूज्य दानमलजी नाहटा की कोटड़ी में भी ऐसाएक स्मारक स्तंम है जिसके सं० १६८८ और सं० १७१३ के दो लेख, सती लेखोंके साथ इसी प्रन्थमें दिये गये हैं, इन दोनोंकी देवलिए हमें नहीं मिली।
___x सती स्मारकोंमें सबसे बड़ा स्मारक हमने मुँझणुमें देखा है जो बहुत विशाल स्थान पर कुआं, बगीचा, मंदिर व लाखोंकी इमारतें बनी हुई हैं। प्रतिदिन सैकड़ोंकी संख्यामें लोग एकत्र होते हैं और हजारों मील से यात्री लोग आया करते हैं । यह राणी सती अग्रवाल जातिकी है ।
"Aho Shrut Gyanam"