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। १११ ] तथा महाराज श्री कृपाचन्दजी तथा उणाकी संतति में चेला पोता चेलरा वगैरह पुस्तक पाठा पटड़ी वगैरह वांचने के वास्ते दिसावर मंगावेंगे तथा इहाँ वांचने वगैरह के वास्ते लेवेगा जद अखी पड़त तुरंत भेज दिया जावेगा। बारै दिया जावेगा इसमें देरी हुवेगा नहीं औ वांचके तथा लिखाके पीछी भेजेगा जब जमा कर लिया जायगा नित्य कृत्य पर्व आराधन की पुस्तक पासमें रहेगा १ वोह कोई जरूरत पड़ने वगैरह वास्ते चहियेगा वो भी रहेगा और कोई दिसावर श्रावक तथा साधु मंगावेगा तो उसकी खातरी सुं दिया वा भेजा जावेगा।
द० पं० पूनमचंदरा इस धर्मशाला का मुख्य अधिकारी वगैरह का नाम--- द० सावणसुखा पूनमचंद न की रतनचंद सिरगाणी द० सा० गुमानमल द० दानमल नाहटैका क० संकरदान द० माणकचंद क० रेखचंद द० गोलछा चुनीलाल द० मेघराज सेठिया द० सुगनचंद सेठिया घरको कोई रेसी तिका हाजर हुसी द० पं० कृपाचंद्र मुनि ऊपर लिख्यो सो सही कलम खुद ।
(३) पर्यषणों में कसाईवाड़ा बन्धी के मुचलके की नकल
जैन धर्मका प्रधान सन्देश अहिंसा है। प्राणीहिंसा व आरंभवर्जन के सम्बन्ध में वच्छावत वंश द्वारा किये गये कार्यों का उल्लेख पृ० ८४ में किया जा चुका है पर्यषणों के १० दिन कसाईबाड़ा चिरकाल से बंध रहता है। तत्सम्बन्धी कसाइयों के मुचालके की नकल यहाँ दो जा रही है। नकल मुचालकै कसायान सदर बीकानेर
श्रीरामजी मसमुलै मीसल मुकदमै बाबत इन्तजाम अषतैहाय पजोसण कौम आसवालान लंबर RE मरजुऔ १५ अक्टूबर सन् १८६२ ईस्वी मोहर महकमै मुनिसीपल
श्री महकमा म्युनिसीपल कमेटी कमेटी राजश्री बीकानेर
राजश्री बीकानेर सं० १९४७
महाराव सवाईसिंह लिखतु वोपारी हाजी अजीम वासल रो वा अलफु कीमै रो वा खुदाबगस भीखै रो वा बहादर समसै रो वा इलाहीबगस मोबत रो वा मोलाबगस मदैरो वा० कायमदीन अजीम रो वा० जीवण रहीम रो वा० फोजू गोलू रो वा कायमदीन खाजु रो बगेरे समसुतां जोग तथा म्हे लोग पजूसणामें अगता मिती भादवा बदि १२ सु मिती भादवा सुदी ६ ताई कदीमी राखता
"Aho Shrut Gyanam"