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बीकानेर जैन लेख संग्रह
महोपाध्याय रामलालजी के उपाश्रय का लेख
( २५५३ )
॥ॐ ह्रीं । श्रीं । नमः ॥ ॥ ब्रह्मा विष्णु शिव शक्ति आदि स्वरूप श्री ऋषभ वीतरागाय नमः दादासाहिब श्री जिनकुशलसूरि संतानीय क्षेमधाड़ शाखायां श्री साधुजी महाराज पं ।प्र। श्रीधर्मशील मुनिः तशिष्य पं । प्र । श्री हेमप्रिय मुनि पं । प्र। कुशलनिधान मुनिः तत्शिष्य पं । प्र। श्री युक्तिवारिध रामलाल ऋद्धिसार मुनिना ओसवाल माहेश्वरी अग्रवाल ब्राह्मणादि समस्त बीकानेर वास्तव्य प्रजा के कुष्ट भगंदरादि अनेक कष्ट मिटाय कर ये विद्याशाला तथा ज्ञानशाला स्थापना करी है, इसमें सर्व मतों के पुस्तक का भण्डार स्थापन करा है, इसमें ऐसा नियम किया गया है कि पुस्तक तथा विद्याशाला कोई लेवेगा या बेचेगा सो सर्व शक्तिमान परमेश्वर से गुनहगार होगा चेला सपूतों की मालकी एक गद्दीधर को रहेगी अगर कपूताई करेगा दीक्षा लजावेगा तदारक पंच तथा कमेटी करेगी सं० १ १९५४ वै । शु। ५
उपकेश गच्छ का उपाश्रय
( २५५४ ) श्री गणाधिपते नमः । संवत १७९५ वर्ष वैशाख सुदी ३ तिथौ गुरुवार श्री मच्छी उपकेश गच्छे भट्टारक श्रीदेवगुप्तसूरिः। शिष्य भामसुन्दरजी तशिष्य पण्डित श्रीकल्याण सुन्दरजी लब्धिसुन्दरेण पौषधशाला कारापितं ।। श्रीरस्तु ।।
नाथूसर उपाश्रय लेख
( २५५५ ) ॥ संवत् १८११ वर्षे मार्गसिर मासे कृष्ण पक्षे १० तिथौ शनिवारे पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्रे ऐन्द्र योगे वणिजकरणे एवं पञ्चांग शुद्धौ वृहत्खरतर गच्छे भट्टारक श्री १०५ श्री श्री जिनलाभसूरि जी विजयराज्ये क्षेमकीर्ति शाखायां महोपाध्याय श्री १०५ श्रीरत्नशेखरजी गणि शिष्य मुख्य पं। प्र । रूपदत्तजी गणि भ्रातृ पंडित प्र० दीपकुअरजी भ्रातृ पं । प्र! महिमामूर्तिजी गणि लघु भ्रातृ पं । प्र । लक्ष्मीसुख तत्प्रशिष्य वा० हसरत्न गणि भ्राह पण्डित ऋद्धिरत्र भ्रातृ पण्डित ज्ञातकल्लोल भ्रातृ पण्डित मुनिकल्लोल तत्प्रशिष्य पण्डित युक्तिसेन भ्रातृ पण्डित महिमाराज सहितेन वा हस्तरत्न गणि कृतोद्यमेन नवीनाशाला कारापिता नाथूसर मध्ये। वारहट्ट खेतसीजी तत् भ्रात नथमल्लजी हिमतसंघजी लालचन्दजी सूर्यमल्लजी दौलतसंघजी सगतदानजी यखतसंघ जी भवानीसंघ सहाज्ये सा......संघ आज्ञाय पं । प्र। महिमामूर्ति गणि पुण्याय.....ल (पौषधशाल ) कारापिता । २०५५ (१) लागा
(हस्तलिखित पत्र से)
"Aho Shrut Gyanam"