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बीकानेर जैन लेख संग्रह
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धर्मशालाओं के लेख स्वधर्मीशाला ( रांगड़ी का चौक )
शिलापट्ट पर ॥ महोला रांगड़ी ॥श्री जैन श्वेताम्बर साधर्मशालाः ।।
॥श्री जिनवीर सं। २४२८ विक्रम सं। १९५८ मि । आषाढ़ शुक्ल चतुर्थी दिने श्री बीकानेर मध्ये महाराजा श्रीगंगासिंहजी बहादुर विजयराज्ये श्री बृहत्खरतर भट्टारक गच्छे श्री पूज्य महाराज श्रीजिनकीर्तिसूरिजी सूरीश्वराणामुपदेशात् महोपाध्याय श्रीदानसागरजी गणिः तशिष्य उ। श्रीहितवल्लभजी गणिः धर्मवृद्धि के तथा स्वपर कल्याण के अर्थ पं।प्र। श्रीखेतसीजी का शिष्य पंडित श्रीचन्दजी यति के पास से क्रीत भावे यह उपासरा लेकर इसमें सर्व संघ के सन्मुख पूजन उच्छव करके इसका नाम जैन श्वेताम्बरी साधर्मीशाला स्थापित किया इस खाते उ० श्रीमोहनलालजी गणि के शिष्य पं० जयचन्द्रजी मुनिवर की प्रेरणा से कलकत्ता मुर्शिदाबाद वाले श्रीसंघने पण अच्छी मदत दीनी है और श्रीसंघ मदत देते रहेंगे इसकी कुंची कबजा बड़े उपासरे के ज्ञानभंडार में सदेव कायम रहसी इसमें सदैव जैन श्वेताम्बर यात्री आवंगे सो उतरते रहेंगे सही ॥ सु॥ दसकत ॥ वंशी महातमारा ॥
( २५५७) ॥ श्री ॥ श्री गुरुभ्यो नमः ।। श्री वीर सं० २४३१ विक्रम सं०। १९६१ मिति श्रावण, सुद २ शनिवार दिने श्री बीकानेर साधर्मीशाला मध्ये सावणसुखा गोत्रे श्रीहीरचन्दजी तत्पुत्र पनालालजी कालूरामजी तत्पुत्र सुगनचन्दजी भैरूदानजी बंगले वालाने जैन सेतंबरियों के जात्री ठेरसी ये तीवारी बनवा के प्रतिष्ठित करी है। श्रीरस्तु शुभंभूयात् ॥
(२५५८)
चरणपादुकाओं पर ॥ शुभ सं। १९८१ का आ० कृष्ण ११ साधर्मीशाला उपदेशक उ। श्रीहितवल्लभ गणीश्वराणांपादुका कारित ॥ श्रीरस्तु नित्यं ॥
( २५५९ )
कोचरों के मन्दिर के पास ओं यह धर्मशाला रायबहादुर शाह मेहरचन्दजी कोचर की यादगार में पुत्र कृपाचन्द कोचर ने बणाई ॥ इसमें कुंड १ सेठ बहादुरमल जी अभैराज जी कोचर ने बणाया ॥ सम्वत् १९७७ सन् १९२० ईस्वी मारफत सेठ सोहनलाल कोचर सं० १९७७
"Aho Shrut Gyanam"