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श्रीश्रदयभदेवजी का मन्दिर ( नाहटों की गुवाड़)
पाषाण प्रतिमाओं के लेख
( १३६६)
मूलनायक श्री ऋषभदेवजी १ ॥ संवत् १६६२ वर्षे चैत्र पदि ७ दिने। श्री विक्रमनगरे । महाराजाधिराज महाराजा श्री
रायसिंह जी विजयराज्ये।। २ श्री विक्रमनगर वास्तव्य खरतर सकल श्री संघेन श्री आदिनाथ विधं कारितं प्रतिष्ठितं श्री
गुरूपदेशादेव यावजीव पाण्मासिक जीवामारि प्रवर्तक सकल जैन ३ सम्मत श्री शत्रुजयादि महातीर्थ कर मोचन स्वदेश परदेश शुल्क जीजियादि कर निवर्तन दिल्लीपति सुरत्राण श्री अकबर साहि प्रदत्त युगप्रधान विरुदाधारैः संतुष्ट साहि दत्ताषाढीया सदमारि स्तंभ४ तीर्थीय समुद्र जलचर जीव जात संरक्षण समुद्भूतप्रभूत यश संभारः वितथ तया साहिराज
समक्षं निराकृत कुमति कृतोत्सूत्रासत्यवचनमय प्रवचनपरीक्षादि शामा व्याख्यान विचारैः विशिष्टः श्वेष्ट मंत्रादि प्रभा५ व प्रसाधित पंनदीपति सोमराजादि यक्ष परिवारैः श्री शासनाधीश्वर षर्द्धमान स्वामी पट्ट प्रभाकर पंचम गणधर श्री सुधर्म स्वामी प्रमुख युगप्रधानाचार्याविच्छिन्न परंपरायात् श्री
चन्द्रकुलाभरण । दुर्लभराज मुखो६ पलब्ध खरतर विरुद श्री जिनेश्वरसूरि श्री जिनचन्द्रसूरि नवांगीकृत्तिकारक स्तंभनक पार्श्वनाथ प्रतिमाविर्भावक श्रीअभयदेवसूरि श्रीजिनवलभसूरि श्रीजिनदत्तसूरि पट्टानुक्रमसमागत सुगृहितनामधेय श्री श्री श्री७ जिन माणिक्यसूरि पट्ट प्रभाकरैः सदुपदेशादादि मएव प्रतिबोधित सलेम साहि प्रदत्त जीवाभय धर्म प्रकरैः। सुविहित चक्रचूड़ामणि युगप्रधान श्री जिनचन्द्रसूरि पुरंदरैः। शिष्य श्री मदाचाय जिनसिंहसूरि ॥ श्री८ समयराजोपाध्याय बा० हंसप्रमोद गणि ॥......सुमतिकल्लोल गणि वा० पुण्यप्रधान गणि... ____ सुमतिसागर प्रमुख सकल साधु संघ सपरिकरैः श्री आदिनाथ बिंब ।
"Aho Shrut Gyanam"