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बीकानेर जैन लेख संग्रह
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२४३० संवत् ११५५ उ। मट बदि ५ श्री देवसेन संघ देवे इमे मअव दादासा जो भोग वोन कारित संघार सेवा जितावलि ।
२४३१
दादासाहेब के चरणों पर ॥ दादाजी श्रीजिनकुशलसूरि जी री पादुका ॥ संवत् १८६७ श्री राजगढ़ मध्ये मिती वैशाख सुदि ३ बार अदीत।
२४३२ पादुका श्री १०८ श्री पाइचन्द...संवत् १८७१ जेठ सुदि ५
धातु प्रतिमाओं के लेख
(२४३३ ) सं० १७६२ मगसिर सुदि १० दिने वृहत्खरतर गच्छे क्षेम शाखायां सत्यरत्नजी शि० कानजी।
( २४३४ ) सं० १७७३ माघ सुदि ६ चन्द्र सा० नाथाकेन वर कम बिंब का भ० देवरत्नसूरि ।
( २४३५ ) श्री धर्मनाथजी दो बिंब।
( २४३६) सं०.... 'माघ सुदि १२ गुरौ साधु नरघा भार्या हावा सुत उदल प्रण ।
( २४३७ ) श्री मूल संघ .....
(२४३८ ) मन्दिर में भमती से निकलते दीवाल पर लिखित सं १९१९ रा मिती मिगसर सुदि ३ दिने। जं० यु० प्र० भट्टारक बृहत्खरतर गच्छे वर्तमान भ। श्री जिनहंससूरिवराः सपरिकराः श्री बीकानेर सुं विहारी प्रामानुग्राम बंदावी। श्री सरदारशहर बड़ोपल हनुमानगढ़ टीबी खड़ियाला राणिया सरसा नौहर भादरा राजगढ़ श्री जी महाराज पधार्या संवत् १९२० रा मि बैसा० सुद ६ श्री संघहाकमकोचर मुंहता श्री फतेचन्दजी कालूरामजी बड़ेहगांम सुं नगारो नीसाण घोड़ा प्रमुख इसदी आदि देकर सामेलो कीयो श्री साधु साथे विहार में वा० नन्दरामजी गणि पं० प्र० चिमनीरामजी आदेशी पं० प्र० देवराजजी मुनि पं० प्र० आसकरणजी मुनि ५० प्र० रुघजी मुनि राजसुखजी पं० प्र०
"Aho Shrut Gyanam"