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बीकानेर जैन लेख संग्रह
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(१५३८)
श्री पद्मप्रभ जी ( खंडित) सं० १५३७ ज्येष्ठ १०७ शुक्रे प्राग्वाद ज्ञा० व्य० कांकट भा० रहो सुत जाणाकेन भा० मानू भ्रातृ रूपादि कुटुंब युतेन पितृ श्रेयसे श्रीपाप्रभ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपा श्रीलक्ष्मीसागर
(१५३६)
श्री अम्बिका मूर्ति पर सं० १३६०वर्ष वैशाख वदि ११ श्री पल्लीवाल ज्ञातीय पितृ अभयसिंह मात लाछि श्रेयसे 30 मेघलेन अंबिका मूर्ति कारिता!
(१५४०)
सर्वतोभद्र यंत्र पर श्री सर्वतोभद्राख्य दुरितारि विजय यंत्रमिदं का० प्र० च सं० १८६१ मिते ज्येष्ठ सुदि ७२० श्री क्षमाकल्याण गणिभिः
( १५४१ )
सर्वतोभद्र यंत्र पर श्री सर्वतोभद्र नामकं यंत्र मिदं कारितम् । सं० १८६५ मिते कार्तिक वदि ६ प्र! | श्री क्षमाकल्याण गणिभिः
(१५४२)
- श्री सर्वतोभद्र यंत्र पर सं० १८८८ वर्षे मिती भाद्रवा वदि २ दिने हाकम कोठारी हीरचन्द्र जो तत्पुत्र गंभीरचंद्र गृहे सर्वसिद्धिं कुरु २॥ पागण प्रतिमाओं के लेख ( दाहिनी ओर की देहरी में )
( १९४३)
परिकर पर ॥ संवत् ११७६ मार्गसिर यदि ६ श्री मजांगल कूप दुर्भा नगरे। श्री वीरचैत्ये विधौ । श्री मच्छाति जिनस्य विब मतुलं भक्त्या परं कारितं । तत्रासीद्वर कीर्ति भाजनमतः श्री नाटकः पावक स्तत्सूनुर्गुण रत्न रोहणगिरि श्री सिल्हको विद्यते।। ११० तेन तच्छुद्ध वित्तेन श्रेयोथं च मनोरमम् । शुक्लाख्याया निजस्वसु रात्मनो मुक्ति मिच्छता ।।२॥छः ।।
पाषाण प्रतिमाएं गर्भगृह में तीन और देहरी में भी तीन हैं जिन पर लेख नहीं है। यह लेख देहरी के मध्यस्थ प्रतिमा के परिकर के नीचे खदा हुआ है।
"Aho Shrut Gyanam"