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(६) इन्द्रनन्दिसूरिशिष्यकृत वैराग्य शतक सं० १५६० लिखित हमारे संग्रहमें (७) मुनिसोम कृत रणसिंहचरित्र' सं० १९४० रचित " (८) सुमतिविजय " प्रियविलास
श्रीपूज्यजी के संग्रह में () संरचन्द्रगणि" पंचतीर्थी स्तव
महिमाभक्तिभंडार (१०) देवानंदसूरि ” अजितप्रभु चरित्र' वृहद् ज्ञानभंडार (११) प्रतिष्ठासोम" धर्मदूत (१२) राजवल्लभ " सिंहासनद्वात्रिंशिका
गोविन्द पुस्तकालय (१३) समयसुंदर " जिनसिंह पदोत्सव काव्यादि प्रतिलिपि हमारे संग्रहमें
संस्कृत टीकाएँ (१) हर्षनन्दन उत्तराध्ययन वृत्ति महिमाभक्ति भण्डार (२) अजितदेवसरि कल्पसूत्र वृत्ति जयचन्दजी भण्डार (३) जयदयालजी नन्दीसूत्र वृत्ति-सानुवाद श्रीपूज्यजी संग्रह (४) प्रद्युम्नसूरि कातन्त्रवृत्ति सं० १३६६ लि० वृद्ज्ञानभण्डार (२) समयसुन्दर वाग्भटालंकार वृत्ति
माघ काव्य वृत्ति (तृयीय सर्ग) सुराणा लाइब्रेरी, चूरू (७) गुणविनय नेमिदूत वृत्ति
रामलालजी संग्रह (८) कविचक्रवर्ती श्रीपाल शतार्थी
वैदोंकी लाइब्रेरी, रतनगढ़ (६) श्रीसार
पृथ्वीराजवेलि टीका गोविन्द पुस्तकालय (१०) रूपचन्द्र सिद्धान्तचन्द्रिका वृत्ति वृहज्ञानभण्डार (११) समरथ रसिकप्रियावृत्ति (१२) वीरचन्द्र शि० विहारीशतसयोवृत्ति (१३) गुणरत्न
सारश्वतप्रक्रियावृत्ति (१४) , शशधर टिप्पण
अनूप सं० ला० (१५) विनयरत्न विदग्ध मुखमण्डनवृत्ति हमारे संग्रह में
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१-यह ग्रन्थ श्री जिनदत्तसूरि पुस्तकोद्धार फंड, सूरतसे प्रकाशित हो चुका है। २-इसका परिचय 'जेन सिद्धान्त भास्कर में प्रकाशित किया है। ३-इसका परिचय 'अनेकान्त' में प्रकाशित किया है।
४-इस ग्रन्थका कुछ परिचय मैंने अपने “पल्लीवाल गच्छ पट्टावली" लेख में दिया है जो कि आत्मानंद शताब्दी स्मारक ग्रन्थ में प्रकाशित है।
५.-.-उपाध्याय विनयसागरजीने इसे कोटासे प्रकाशित कर दिया है। ६.--इसका उल्लेख मैंने “जैन अनेकार्थ साहित्य" लेखमें जैन-सिद्धान्त-भास्कर वर्ष ८ अंक १ में किया है।
७-८-इनका विवरण "राजस्थान में हिन्दी ग्रन्थोंकी खोज" भाग २ और सम्मेलन-पत्रिका में प्रकाशित है।
"Aho Shrut Gyanam"