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जैन भण्डारों की प्रचुरता जैन मुनियों के लिये एक स्थान पर चार्तमास (आषाढ़ से कार्तिक ) के अतिरिक्त, एक स्थान पर एक माससे अधिक रहना निषिद्ध है। अतः निरंतर भ्रमणशील जैन मुनियोंने भारतके कोने कोने में पहुंच कर जैनधर्मका प्रचार किया। परिणाम स्वरूप भारतके सभी प्रान्तों में जैन ज्ञानभण्डार स्थापित हैं। नीचे प्रांत वार उन प्रमुख स्थानों के नामों की सूची दी जाती है, जहाँ ज्ञानभण्डार हैं।
श्वेताम्बर जैन ज्ञानभण्डार राजपूताना-जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर, पीपाड़, आहोर, फलोधी, सरदारशहर, चूरू, जयपुर, झूझD, फतेपुर, लाडणू, सुजाणगढ, पाली, उज्जैन, कोटा, उदयपुर, इन्दौर, रतलाम, बालोतरा, किसनगढ़, नागौर, मंदसौर, ब्यावर, लोहावट, मेड़ता इत्यादि।
गुजरात -- पाटण, खंभात, बड़ौदा, छाणी, पादरा, बीजापुर, लीबड़ी, अहमदाबाद, सूरत, पालनपुर, राधनपुर, डभोई, मांगरोल, ईडर, सीनोर, साणंद, बीशनगर, कपड़बंज, चाणमा, बीरमगाँव, बीलीमोरा, झीवाड़ा, खेड़ा, बढ़वाण, धौलेरा, पाटड़ी, दशाड़ा, लीवण, पूना, बम्बई, भरॉच ।
काठियावाड़ -पालीताना, भावनगर, राजकोट, जामनगर कच्छ-कच्छ कोडाय, मांडवी, मोरबी, दक्षिण-मालेगांव, मैसूर, मद्रास संयुक्तप्रांत--आगरा, बनारस, लखनऊ बंगाल-कलकत्ता, अजीमगंज, जीयागंज, राजगृह (बिहार)
पंजाब-अम्बाला, जीरा, रोपड़, सामाना, मालेरकोटलु, लुधियाना, होशियारपुर, जालंधर, नकोदर, अमृतसर, पट्टो, जंडियाला, लाहोर, गुजरांवाला, स्यालकोट, रावलपिंडी, जम्मू
दिगम्बर जैन ज्ञानभण्डार यों तो इनके जहां जहाँ मन्दिर हैं वहीं पुस्तक संग्रह हैं। पर प्रमुख स्थानोंके नाम इसप्रकार हैं।
- १ आरा २ झालरापाटण, ३ बम्बई, ४ ब्यावर ५ दिल्ली ६ जयपुर, ७ नागौर, ८ कारंजा, ६ कलकत्ता, १० नागपुर, ११ ललितपुर, १२ बासौदा, १३ भेलसा, १४ ईडर, १५ करमसद १६ सोजित्रा १७ अजमेर १८ कामा १६ ग्वालियर २० लश्कर २१ सोनगिरि २२ सीकर २३ मूडविद्रि २४ जनविद्री २५ इन्दौर २६ हूमसपद्मावती २० प्रतापगढ़ २८ उदयपुर २६ सांगवाड़ा ३० आगरा ३१ लखनऊ ३२ दरियावाद ३३ चंदेरी ३४ सिरोज ३५ कोल्हापुर ३६ श्रवणवेलगोला ३७ कारकल ३८ अहम्बुचा ३६ वारंगा ४० आमेर ४१ कांची ४२ अलवर ४३ सम्मेतशिखर ४४ सागर ४५ शोलापुर ४६ अजमेर इत्यादि ।
इन स्थानों में कई कई स्थानों में तो एक ही नगर में ११० भण्डार तक हैं। भू "आपणी ज्ञान परबो" जैन सत्य प्रकाश वर्ष ४ अंक १०-११ वर्ष ५ अंक १ वर्ष ६ अंक ५ में देखना चाहिए। *विशेष जानने के लिये देखें भारतवर्षीय दिगम्बर जैन डीरेक्टरी आदि प्रन्थ ।
"Aho Shrut.Gyanam"