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के आचार्य माने जाते थे। उनके समान श्रेष्ठ साधु मैंने बहुत ही कम देखे हैं। वह अपने सिद्धान्तों का पूरा-पूरा पालन करते थे वे अनेक प्रकार के धर्माचरण करके अपना शरीर क्षीण करते थे, और अपनी कामनाओं तथा प्रवृत्तियों को वश में रखते थे। लाला लाजपतराय ने भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।
___ भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन (1919-1947) में महात्मा गाँधी और लाला लाजपतराय के योगदान को देश का बच्चा-बच्चा जानता है। इन दोनों देशभक्तों के जीवन पर जैन धर्म का महत्त्वपूर्ण प्रभाव रहा। दिये गये तथ्य इस बात की पुष्टि करते
हैं।
प्रस्तुत ग्रन्थ में भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान उत्तर प्रदेश जैन समाज द्वारा दिये गये योगदान का उल्लेख किया गया है। उत्तर प्रदेश, जैन धर्म के चौबीस तीर्थकरों में से अट्ठारह तीर्थकरों की जन्मभूमि होने का गौरव रखता है। भारतीय गणतन्त्र का जनसंख्या की दृष्टि से सबसे विशाल राज्य उत्तर प्रदेश इतिहास काल के प्रारम्भ से ही आदि तीर्थंकर ऋषभदेव और तदनन्तर हुए तेईस जैन तीर्थंकरों के अनुयायियों से युक्त रहा है।''
भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन (1919-1947) के दौरान उत्तर प्रदेश (तत्कालीन संयुक्त प्रान्त) में जैन समाज की जनसंख्या बहुत कम थी। सरकारी आकड़ों के अनुसार 1921 में हुई जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या 39,292,926 थी, जिनमें जैन अनुयायियों की संख्या मात्र 68,111 थी। जो कुल जनसंख्या की 0.173 प्रतिशत है।" 1931 में हुई जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या 40,585,338 थी, जिनमें जैनों की संख्या 67,954 थी। जो कुल जनसंख्या की 0.167 प्रतिशत है।2 1941 में हुई जनगणना के अनुसार प्रदेश की कुल जनसंख्या 56,346,456 थी, जिनमें जैन समाज की संख्या 103,029 थी। जो कुल जनसंख्या की 0.183 प्रतिशत है।' ___1921, 1931, 1941 की जनगणना रिपोर्ट का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि जैन समाज उत्तर प्रदेश में कम संख्या में था और मुख्यतः 17-18 जिलों में निवास करता था। इनमें - मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलन्दशहर, अलीगढ़, मथुरा, आगरा, एटा, मैनपुरी, मुरादाबाद, इटावा, झाँसी, सहारनपुर, बिजनौर, इलाहाबाद, लखनऊ, कानपुर, देहरादून और बनारस जिले उल्लेखनीय हैं। इन जिलों के अलावा कुछ और जिलों में भी जैन परिवार रहते थे, जिनकी संख्या नाम मात्र की थी। जनगणना रिपोर्ट के अनुसार इस पुस्तक में उत्तर प्रदेश के उन्हीं जिलों का उल्लेख किया गया है, जिनमें जैन समाज की जनसंख्या थी।
उत्तर प्रदेश के जैन समाज ने संख्या में कम होने के बाद भी देश के आर्थिक,
आत्मकथ्य :: 13