Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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पालवंश। परमारोंके बाद पालवंशियोंका इतिहास है ।
इन्होंने अपने दानपत्रों सारे हिन्दुस्तानको फतह करने या उसपर हुकूमत करनेका दावा किया है । पर असलमें ये बंगाल और बिहारके राजा थे। शायद कभी कुछ आगे भी बढ़ गये हों। __इनमेंके पहले राजा गोपालके वर्णनमें आईने-अकबरी और फ़रिश्ताका भी नाम
आया है, कि वे गोपालको भृपाल बताते हैं। फरिश्ताने भूपालका ५५ वर्ष राज्य करना लिखा है। यही बात उससे पहलेकी बनी आईने-अकबरीमें भी दर्ज है। पर गोपाल ( भुपाल ) धर्मपाल और देवपालके पीछेके नाम आईने-अकबरीसे नहीं मिलते हैं। उसमें भुपालसे जगपाल तक १० राजाओंका ६९८ बरस राज्य करना और जगपालके पीछे सुखसेनका राजा होना लिखा है।
आईने अकबरीमें १० राजाओंके नाम इस प्रकार हैं:१ भुपाल
६ विघ्नपाल २ धर्मपाल
७ जैपाल ३ देवपाल
८ राजपाल ४ भोपतपाल
९ भोपाल ५ धनपतपाल
१० जगपाल
सेनवंश। पालवंशके बाद सेनवंशका इतिहास लिखा गया है । शेख अबुल फज्लने भी आईन अकबरीमें पालवंशी राजाओंके पीछ सेनवंशी राजाओंकी वंशावली दी है। परन्तु उनको कायस्थ लिखा है। उसने पालवंशियों और उनके पहलेके दो दूसरे राजघरानोंको भी, जो महाभारतमें काम आनेवाले राजा भगदत्तकी सन्तानके पीछे बंगालके सिंहासन पर बैठते रहे थे अपनी उस समयकी तहकीकातसे कायस्थ ही लिखा है । अब जो दानपत्रों या शिलालेखोंमें पालोंको सूरजवंशी और सेनोंको चन्द्रवंशी लिखा मिलता है शायद वह ठीक हो । परन्तु लेखोंमें जिस तरह और और बातें बढ़ावा देकर लिखी हुई होती हैं उसी तरह वंशोंका भी हाल होता है। यहाँ तक कि एक ही घरानेको किसी लेखमें सूर्यवंशी, किसीमें चन्द्रवंशी और
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