Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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(१७)
मुख्य शाखाका राज्य चौहानोंने छीन लिया और इनकी राजधानी चन्द्रावतीको बरबाद कर दिया।
जालोर और सिवानेकी शाखाका राज्य भी चौहानोंने ले लिया।
कोटकिराडूमें धरणीवाराह बड़ा राजा हुआ । उसकी औलादके पवार वाराही पौरके नामसे प्रसिद्ध हुए । इसके पीछे पूँगल, लुद्रवा और मण्डोर पर भाटियोंने अपना अधिकार कर लिया और किराडूको भी उजाड़ दिया। परन्तु धरणीवाराहके पोते बाहडरावने भाटियोंको मारवाड़से निकाल कर किराडूसे ७ कोस दक्खनकी तरफ बाड़मेर शहर बसाया । इसका बेटा चाहड़राव और चाहड़रावका साँखला हुआ । इससे साँखला शाखा निकली और इसके भाई सोढाके वंशज सोढा पवार कहलाने लगे।
साँखला-शाखाने मारवाड़की उत्तर थलीमेंके ओसियां, रून, जाँगलू वगैरह पर अपना राज्य कायम किया; जिसको अन्तमें राठोड़ोंने ले लिया । आज कल ये गाँव जोधपुर और बीकानेरके राज्योंमें हैं । साँखलाके भाई सोढाने सूमरा भाटियोंसे धाटका राज लेकर ऊमरकोटमें अपनी राजधानी कायम की। अकबर यहीं पर पैदा हुआ था । उसधुबख्त राना परसा वहाँका राजा था । बादमें यह राज्य सिंधके मुसलमानोंके अधिकारमें चला गया और उनसे राठोड़ोंने छीन लिया; जो अव अँगरेजी सरकारके अधिकारमें है और उसकी एवजमें भारत सरकार जोधपुर दरबारको १०००० रुपये सालाना रोयलटीके रूपमें देती है ।
वाहड़रावका बेटा अनन्तराव साँखला था। इसने गिरनार ( गुजरात ) के राजा कैवाटको पकड़ कर पिंजरेमें कैद कर दिया था।
साँखलाके ओसियाँमें आनेसे पहले ही इस नगरको उप्पलदेव पवारने बसाया था। यह उपलदेव मण्डोरके राजाका साला था और भीनमालमें कुछ गड़बड़ हो जानेके कारण मंडोरमें आगया था । यहाँ पर इसके बहनोईने मंडोरसे बीस कोस उत्तरका एक बड़ा थल जो उजाड़ पड़ा था इसे रहनेको दे दिया। यहीं पर उप्पलदेवने ओसियोला नामका एक शहर बसाया । यही शहर अब ओसियाँ नामसे प्रसिद्ध है । यहाँ ( ओसियाले ) के पार धाँधू कहलाते थे । शायद भीनमालके
(१) मारवाड़ी भाषामें ओसियाला शरणागतका कहते हैं ।
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