Book Title: Bhamini Vilas ka Prastavik Anyokti Vilas
Author(s): Jagannath Pandit, Janardan Shastri Pandey
Publisher: Vishvavidyalay Prakashan
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पण्डितराज जगन्नाथ १०-रसगङ्गाधर-साहित्यमीमांसापर उच्चकोटिका ग्रन्थ है । जिसे
संभवतः ५ आननोंमें पूर्ण करनेका कविका विचार था; किन्तु द्वितीय आननमें भी उत्तरालंकार तक ही ग्रन्थ अभी तक उपलब्ध हो सका है। यह विशुद्ध नैयायिक शैलोमें लिखा गया गद्य ग्रन्थ है । केवल उदाहरणरूपमें पण्डितराजने स्वरचित पद्य ही दिये हैं जिनमेंसे अधिकांश उनके अन्य ग्रन्थोंमें पाये जाते
हैं । ३३२ पद्य प्रायः ऐसे हैं जो अन्यत्र नहीं मिलते । ११-भामिनी विलास-चार विलासोंमें विभक्त इस ग्रन्थका विवरण
आगे दिया जा रहा है। १२-स्फुटपद्य-पण्डितराजके लगभग ५८८ स्फुट पद्य हैं । [ रसगंगाधर
के गद्य भागको छोड़कर शेष उपर्युक्त सभी ग्रन्थ "संस्कृतपरिषद्, उसमानिया विश्वविद्यालय हैदराबाद" से "पंडितराज काव्यसंग्रह" नामसे प्रकाशित हो चुके हैं। इससे पूर्व भी काव्यमाला
सीरीजमें तब तक उपलब्ध ग्रन्थांश प्रकाशित हो चुके थे । ] १३–मनोरमाकुचमदन-भट्टोजिदीक्षितको प्रौढ़मनोरमापर आलोच
नात्मक टीका है जो निर्णय सागर प्रेससे प्रकाशित है। १४-चित्रमीमांसाखण्डन-अप्पयदीक्षितके प्रसिद्ध अलंकार-ग्रन्थ
चित्रमीमांसाका पाण्डित्यपूर्ण खण्डन है। स्थान-स्थानपर रसगंगाधरमें पण्डितराजने अप्पयदीक्षितके मतका जो खण्डन किया है उसीको इसमें संकलित कर दिया है। यह भी काव्यमाला
सीरीजसे प्रकाशित हो चुका है। १५-शब्दकौस्तुभशाणोचेजन-यह ग्रन्थ हमारे देखने में अभी तक
नहीं आया है परन्तु "पण्डितराज काव्य संग्रह" को भूमिकामें इसका नाम दिया गया है। भट्टोजिदीक्षित शब्दकोस्तुभके रचयिता हैं
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