Book Title: Bhamini Vilas ka Prastavik Anyokti Vilas
Author(s): Jagannath Pandit, Janardan Shastri Pandey
Publisher: Vishvavidyalay Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भामिमो-विलास पण्डितराजकी रचनाएँ १-पीयूषलहरी-यह गंगालहरी नामसे प्रसिद्ध और अत्यन्त प्रचलित
एवं लोकप्रिय गंगास्तुति है, जिसमें ५३ पद्य है। २-अमृतलहरी-इसमें ११ पद्योंमें यमुनाजीकी स्तुति है। ३-सुधालहरी-इसमें ३० पद्योंमें सूर्य की स्तुति है । ४-लक्ष्मीलहरी-४१ पद्योंमें लक्ष्मीजीकी स्तुति है । ५-करुणालहरी-५५ पद्योंमें भगवान् श्रीकृष्णकी स्तुति है । ६-आसफविलास--इसमें कश्मीरके नवाब आसफ खाँका वर्णन है।
प्रारम्भमें ४ पद्य हैं और शेष गद्यांश है । -प्राणाभरण-इसमें ५३ पद्य हैं जिनमें कामरूपनरेश प्राणनारायणका
वर्णन है। ८-जगदाभरण-काव्यमाला सिरोजके संपादक पं० दुर्गाप्रसादजीका
कथन है कि "प्राणाभरणमें ही जहाँ-जहाँ प्राणनारायणका नाम है वहाँ पर दाराशिकोहका नाम देकर पंडितराजने जगदाभरण नाम इस प्रथका रख दिया है। और यह पुस्तक कोटाके राजपण्डित गङ्गावल्लभजीके पास देखी थी।" किन्तु “पण्डितराज काव्यसंग्रह" में प्रकाशित उक्त ग्रन्थ तथा स्व० एस० एम० परांजपेके उद्धरणसे यह निश्चित है कि प्राणनारायणके स्थानोंपर , उदयपुरके राणा जगत्सिंहका नाम है, दाराका नहीं। जैसा कि
जगदाभरण नामसे भी प्रतीत होता है । ९-यमुनावर्णन-इस ग्रन्थके केवल दो अंशोंका उद्धरण रसगंगाधरमें
पण्डितराजने ही दिया है, शेष अंश अभी तक उपलब्ध न हो सका।
For Private and Personal Use Only