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हता. ते रोह नामना अनगार पोते उभटक रहेला, नीचे नमेल मुखवाला, ध्यानरूप कोठामा पेठेला तथा संयम अने तापबडे व्याख्या
१ शतके | आत्माने भावता श्रमण भगवंत महावीरनी आजुबाजु विहरे के. पछी ते रोह नामना अनगार जातश्रद्ध यह यावत्- पधुपासनाx प्रज्ञप्तिः करता आ प्रमाणे बोल्या:- [प्र०] हे भगवन् ! पहेलो लोक छे अने पछी अलोक छे? के पहेलो अलोक के ? अने पछी लोक छे?
उदेशः६ ॥७ ॥ [[उ०] हे रोह ! लोक अने अलोक, ए पहेलो पण के अने पछी पण छे. ए बने पण शाश्वता भाव . हे रोह ! ए बेमा 'अमुक ॥ ७७ ॥
पहेलो अने अमक पछी' एवो क्रम नथी. [प्र०] हे भगवन् ! जीवो पहेला छे? अने अजीबो पछी के ? के पहेला अजीबो छे अने छी जीवो के ! [उ०] हे रोह ! जेम लोक अने अलोक विषे कयूं तेम जीवो अने अजीबो संबंधे पण जाणवू. ए प्रमाणे भवसिद्धिको, अने अभवसिद्धिको, सिद्धि अने असिद्धि संसार तथा सिद्ध अने संसारिओ पण जाणवा. [प्र०] हे भगवन् ! पहेला इंदु छे अने पछी कुकडी छे ? के पहेला कुकडी अने पछी इंदु छ ? 'हे रोड ! ते इं९ क्याथी थयु ? 'हे भगवन् ! ते इंडं कुकडीथी ययु' हे रोह! ते कुकडी क्याथी थह? हे भगवन् ! से कुकडी इंडाथी थइ.' [उ०] एज प्रमाणे हे रोह ! ते इंडं अने कुकडी ए पहेलो पण छे अने पछी पण ठे-ए शाश्वत भाव के, पण हे रोह ! ते बेमा कोइ जातनो क्रम नथी. [प्र०] हे भगवन् ! पहेलां
लोकांत छ ? अने पछी अलोकांत के ? के पहेला अलोकांत छे ? अने पछी लोकांत छे ? [उ०] हे रोह ! लोकांत अने अलोकांत पए बनेमां यावत्-हे रोह कोइ जातनो क्रम नथी. [प्र०] हे भगवन् ! पहेला लोकांत छे अने पछी सातमु अवकाशातर छे! | इत्यादि पूछवू. [उ०] हे रोह ! लोकांत अने सातमु अवकाशांतर, ए बने पहेला पण छ. ए प्रमाणे यावत्-हे रोह ! ए बेमां कोई जातनो क्रम नथी. ए प्रमाणे लोकांत, सातमो तनुवात, ए प्रमाणे घनवात, घनोदधि अने सातमी पृथिवी. ए प्रमाणे एकएकनी
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