Book Title: Bhagvati Sutram Part 01
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: Hiralal Hansraj
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मज्ञप्तिः
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हा महाभीमे ॥ २९॥ किनकिपुरिसे खलु सप्पुरिसे खलुतहा महापुरिसे। अतिकाय महाकाए गीयरती चेव व्याख्या-४
| ३ शतके | गीयजसे ॥ ३०॥ एते वाणमंतरण देवाण । जोतिसिवाणं देवाणं दो देवा आहेवचं जाव विहरंति, तंजहा-चंदे य सूरे य । सोहम्मीसाणेसु णं भंते! कप्पेसु कर देचा आहेवचं जाच विहरति !, गोयमा! दस देवा जाव
उमेशः८ ॥३१९॥ विहरंति, तंजहा-सके देविंदे देवराया सोमे जमे बरुणे वेसमणे, ईसाणे देविंद देवराया सोमे जमे वरुणे
॥३१९॥ वेसमणे, एसा वत्तब्वया सब्वेसुरवि कप्पेसु, एए चेष भाणियव्वा, जे य ईवा ते य भाणियव्वा, सेवं भंते ६॥ (सू०१६८) ॥ तृतीयशतेऽष्टमोडेशः ॥३-८॥
सोम्सोम, का-कालवाल, चि-चित्र, पम्प्रभ ते-तेजस रू-कप, ज-जल, तु-त्वरितगति, काकाल अने आ आयुक्त. [प्र.] हे भगवन् ! पिशाचकुमारो उपर अधिपतिपणु भोगवता केटला देवो के ? [उ०] हे गौतम ! तेओ उपर अधिपतिपणुं भोगवता यावन् : बेबे देवो विहरे छे:-काल जने महाकाल, सुरूप अने प्रतिरूप, पूर्णभद्र, अने अमरपति मणिमद्र, भीम अने महाभीम, किंनर अने किंपुरुष, सत्पुरुष अने महापुरुष, अतिकाय अने महाकाय, गीतरति अने गीतयश ए बधा वानव्यंतर देवोमा इंद्रो के. ज्योतिषिक देवोनी उपर अधिपतिपणुं भोगवता बे वे देवो :-चंद्र अने सूर्य. प्र०) हे भगवन् ! सौधर्म अने ईशानकल्पमा अधिपतिपणु भोगवता यावत्-केटलो देवो रहे है ? [उ०] हे गौतम ! त्यां अधिपतिपणु भोगवता यावत्-श देवो रहे है:--देवेंद्र, देवराज शक्र, सोम, यम, वरुण, वैश्रमण जने देवेंद्र, देवराज ईशान, सोम, यम, वरुण, अने चैश्रमण, ए बधी वक्तव्यता बधाय कल्पोमां जाणवी अने जे इंद्रो छे से कहेवा. हे भगवन् ! ते ए प्रमाणे छे, हे भगवन् ! ते ए प्रमाणे छे. एम कही विहरे छे. ॥१६८॥
भगवत् सुधर्मम्बामीप्रणीत श्रीमद् भगवतीमूत्रना बीजा शतकमा आठमा उद्देशानो मूलार्थ संपूर्ण ययो.
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