Book Title: Bhagvati Sutram Part 01
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 328
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥३२२॥ ३ शतके उद्देशः१० ३२२॥ A के अने जाता यहारनी सभा छे, तेमांनी अभ्यंतर सभानी प्रावालिका मा प्रमाणे छे:-तेनो उपरी कांदपण कारणसर मभ्यंतर सभाने बोलावे के अने सभानी बेठक थया पछी ते उपरी सभाने पोतार्नु प्रयोजन कही देखाडे छे. ते गौरब मोटाइने योग्य है. बचली सभा तो तेनो उपरी बोलावे अथवा न बोलावे तो पण आवे छे. कारण तेनी मोटाइ थोडी छे. ते वचली सभानी बेठक बया पछी अभ्यंतर सभा साथे धयेल वार्तालापने जणावे छे. अने नक्की करे . घाजी जाता सभा बोलाव्या विनाज चाली आके. कारण तेनी मोटाइ वणी ओछी है. प्रथम सभामा २४००० देवो ३५० देवीओ, आयुष्य २॥ पल्योपम ने देवीन १॥ पस्यीपमर्नु पीजी का सभामा २८००० देवो. ३०० देवीओ. आयुष्य २ पल्योपम, ने देवीनु १ पस्योपमनु. श्रीजी सभामा ३२... देवो. २५० वेषीओ. साभायुष्य १॥ पस्योषमनु मे देवीना पल्योपमनु. आ रीते टुंकाणमां जणाव्यु बाकी जीवामिगम उपांगधी जाणवू. FREERINEERRIERARRAHAARAANEE प्रथमोभागः समाप्त. SARKARRASSHARERARINTERNHAR HABAR For Private and Personal Use Only

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