Book Title: Bhagvati Sutram Part 01
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: Hiralal Hansraj
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उद्देशक ९.
व्याख्या प्रवृष्टिः ॥३२॥
३ शतके उद्देशः९ ॥३२०॥
देवोने अवधिज्ञान होवा छता पण इंद्रियना उपयोगनी जरूर रहे छे ते माटे इंद्रियोना विषयोतुं निरूपण करवा आ नवमा उद्देशकने कहे के:
रायगिहे जाव एवं वदासी-कतिविहे गं भंते ! ते इंदियविसए पण्णत्त?, गोयमा! पंचबिहे इंदियविसए पण्णत्ते, तं०-सोतिदियविसए जीवाभिगमे जोतिसिपउद्देसो मेयब्बो अपरिसेसो ॥ (मू. १६९) तृतीयशते ४ नवमोद्देशः ॥३-९॥
प्र. राजगृह नगरमा यावत्-आ प्रमाणे पोल्या के-हे भगवन् ! इंद्रियोना विषयो केटला प्रकारना कहा ? [उ.] हे गौतम ! इंद्रियोना विषयो पांच प्रकारना कग छे, ते आ प्रमाणे:-श्रोत्रं द्रयनो विषय इत्यादि आ संबंधे जीवामिगमसूत्रमा कहेलो आखो ज्योतिषिक उद्देशक जाणवो. ॥ १६९ ॥
भगवत् सुधर्मस्वामीप्रणीत श्रीमद् भगवतीस्त्रना श्रीजा शतकमां नेवमा उद्देशानो मूलार्थ संपूर्ण थयो.
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