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व्याख्या-1 प्रज्ञप्तिः ॥९०॥
[प्र.] हे भगवन् ! गर्भमां गया पछी जीव नैरयिकोमा उत्पन्न थाय छे ? [३०] हे गौतम ! कोइ थाय अथवा कोई न 51
१ शतके पण थाय. [प्र०] हे भगवन् ! तेनु शु कारण ? [उ०] हे गौतम ! संज्ञी पंचेंद्रिय, अने सर्व पर्याप्तिथी पूर्ण थएलो जीव वीर्यलब्धि ||
उद्देशः ७ बडे, वेक्रियलन्धि वडे शत्रुनुं लश्कर आवेलुं सांभळी, अवधारी, आत्मप्रदेशोने गर्भथी बहारना भागे फेंके थे, फकी वैकियसमुद्घातबडे समवहणी, चतुरंगी सेनाने विकु छे, एवी सेनाने विकुर्वी ते सेनावडे शत्रुना लश्कर साये युद्ध करे छे. अने ते पैसानो, राज्यनो, | ॥९ ॥ भोगनो अने कामनो लालचु, पैसामां, राज्यमां, भोगमा अने काममा लंपट. पैसानो तरस्यो, राज्यनो, भोगनो अने कामनो तरस्यो जीव तेमां चित्तवाळो, तेमां मनवाळो, तेमा आत्मपरिणामवाळो, तेमा अध्यवसित थएलो, तेमा अध्यवसानवाळो, तेमां सावधानता वाळो, तेने माटे क्रियाओनो भोग आपनार, असे तेनाजसंस्कारवाळो ए समये जो मरण पामे तो नैरयिकमां उत्पन्न थाय. माटे हे गौतम ! ते हेतुथी यावत्-कोइ जीव नरके जाय अने कोइ जीव नरके न जाय. [१०] हे भगवन् ! गर्भमां गएलो जीव देवलोकमा || जाय ? [उ.] हे गौतम ! कोई जाय अने कोइ न जाय. [4] हे भगवन् ! तेर्नु शु कारण ? [उ०] हे गौतम! ते संज्ञी पंचेद्रिय अने सर्व पर्याप्तिथी पूर्ण थएलो जीव तथारूप श्रमण के माहण (ब्राह्मणनी) पासे एक पण धार्मिक वचन सांभळी, अवधारां, तुरतज संवेगथी धर्ममां श्रद्धालु बनी, धर्ममा तीब अनुरागथी गाएलो ते जीव धर्मनो, पुण्यनो, स्वगनो अने मोक्षनो लालचु. धर्ममा पुण्यमां, स्वर्गमा अने मोक्षमा सक्त, धर्मनो पुन्यनो स्वर्गनो अने मोक्षनो तरस्यो. तेमां चित्तवाळो, मनवाळो, आत्मपरि| णामवाळो अने अध्यबसित भएलो, तेम तीव्र प्रयत्नवाळी, ते मां सावधानतावाळो. तेमां क्रियाओनो भोग आपनारो अने तेनाज संस्कारवालो ए समये मरण पामे तो देवलोके जाय. माटे हे गौतम ! ते हेतुथी पूर्व प्रमाणे क{ . [प्र०] हे भगवन् ! गर्भमा BI
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