________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandi
व्याख्या
११शत
Y
.
प्रज्ञप्तिः
उनः८
॥९
॥
दो भंते ! पुरिसा सरिसया सरित्तया सरिव्वया सरिसभंडमत्तोवगरणा अनमनेणं सद्धिं संगाम संगा| मेन्ति, तत्व णं एगे पुरिसे पराइणइ एगे पुरिसे पराइजंइ, से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा! सवीरिए पराइ|णइ, अवीरिए पराइ जइ, से केद्वेणं जाव पराइज्जइ, गोयमा ! जस्म णं बीरियवज्झाई कम्माई णो बद्धाई
णो पुट्ठाई जाव नो अभिसमन्नागयाई नो उदिन्नाई उवसंताई भवंति से णं पराइणइ, जस्स णं वीरियवज्झाई कम्माई बद्धाई जाव उदिनाईनो उवसंताई भवति से णं पुरिसे पराइजइ, से तेणढे गोयमा! एवं बुचइ
सीरिए पराइणइ, अवीरिए पराइजह ।। (मु०७१)॥ | [म.] हे भगवन् ! सरखा, सरखी चामडीवाला, उमरवाळा, द्रव्यवाळा तथा समान उपकरण वाला कोई एक बे' पूरुप होय र अने ते पुरुषो परम्पर लडाइ करे तेमा एक पुरुष जीते अने एक पुरुष हारे, हे भगवन ! ते केवी रीते बने ? [उ०] हे गौतम !
जे पुरुष वीर्यवाळो होय ते जीते छे अने वीर्यरहित होय ते हारे छे. [सं०] हे भगवन् ! तेनुं शुं कारण ? के-एक हारे छ ? [उ.] हे गौतम ! जे पुरुष वीर्यरहित कर्मों नथी बांध्या, नथी स्पश्य, यावत्-नथी प्राप्त कर्यां अने तेना ते कर्मों उदीर्ण नथी, पण उपशांत छे ते पुरुष जीते के. अने जे पुरुषे वीर्यरहित कर्मो बांध्या छ, स्प- छे अने यावत्-तेना ते को उदयमां आवेला छे पण उपशांत नथी ते पुरुष पराजय पामे छे. माटे हे गौतम ! ते कारणथी एम कबुं छे के, वीर्यवानो पुरुष जीते के अने वीर्थरहित पुरुष हारे छे॥७१ ॥
जीवा णं भंते ! किं सीरिया अवीरिया?, गोयमा! सबीरियावि अवीरियावि, से केणटेण. १, गोयमा!
For Private and Personal Use Only