Book Title: Bhagvati Sutram Part 01
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: Hiralal Hansraj
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व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥२७॥
३ शतके सोशः२ ॥२७॥
काळ अने चमरनो नीचे जवानो काळ, ए बने सरखा हे अने सौथी थोडा के, शक्रनो नीचे अरानो काळ अने वचनो उपर जवानो काळ, ए बन्ने सरखा छे अने संख्येयगणा हे. चमरनो उंचे जवानो काळ अने वजनो नीचे जवानो काल, ए बन्ने | सरखा अने विशेषाधिक छे. ॥ १४६ ।।
तए णं चमरे असुरिंदे असुरराया बजभयविप्पमुक्के सोणं देविंदेणं देवरना महणा अवमाणेणं अवमाणिए समाणे चमरचंचाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए चमरंसि सीहासणंसि ओहयमणसंकप्पे चिंतासोयसागरसंपविढे करयलपत्हस्थमुहे अग्झाणोवगए भूमिगयदिट्टीए नियाति, तते णं तं चमरं असुरिंद असुररायं सामाणियपरिसोववन्नया देवा ओहयमणसंकप्पं जाव झियायमाणं पासंति २ करयल जाव एवं बयासीकिपणं देवाणुपिया! ओहयमणसंकप्पा जाब झियायह?, तए णं से चमरे अमरिंदे असुर० ते मामाणियपरिसोववन्नए देवे एवं वयासी-एवं स्वलु देवाणुप्पिया! मए समणं भगवं महावीरं नीसाए सके देविंदे देवराया मयमेव अचासादिए, तए णं तेण परिकुविएणं ममाणेणं मम वहाए वजे निसिढे, तं भरणं भवतु देवाणुप्पिया! समणस्स भगवओ महावीरस्स जस्म मम्हिमनुपभावेण अकिटे अब्धहिए अपरिताविए इहमागए इह समोसड्ढे इह संपत्ते इहेब अज्ज उपसंपत्तिाणं विहरामि,
हवे वतना भयथी मुक्त थएलो, देवेंद्र, देवराज शक्रद्वारा मोटा अपमानथी अपमानित थएलो, हणाएल मानसिक संकल्पवाळो, चिंता अने शोकरूप समुद्रमा पेटेलो, मुखने हथेली उपर टेकवी राख्नार, आर्तध्यानने पामेलो अने नीचे मांडेल नजरवाळो ते
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