Book Title: Bhagvati Sutram Part 01
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: Hiralal Hansraj
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
३ शतके
उद्देशः७
Pघरमा राखेला लाखो रुपीयाना निधानो, अने दाटेली लाखो रूपीयानी दोलत, ए बधुं देवेंद्र, देवराज शकना वैश्रमण महाराजाथी, व्याख्या
के वैश्रमणकायिक देवोथी अजाण्यु नथी, अणजोयु नथी, असांभळ्यू नथी, अणसमरेल नथी अने अविज्ञात नथी. देवेंद्र, देवराज प्रज्ञप्ति शक्रना वैश्रमण महाराजाने आ देवो अपमत्यरूप अभिमत :-पूर्णभद्र, मणिभद्र, शालिभद्र, सुमनोभद्र, चक्र, रक्ष, पूर्णरक्ष, सद्वान, ॥३१६॥
सर्वयशाः, सर्वकाम, समृद्ध, अमोघ, अने असंग, देवेंद्र, देवराज शक्रना वैश्रमणं महाराजानी आवरदा बे पल्योपमनी छे अने तेना अपत्यरूप अभिमत देवोनी आवरदा एक पल्योपम छे ए रीते वैश्रमण महाराजा मोटी ऋद्धिकाळो छे. हे भगवन् ! ते ए प्रमाणे छे. हे भगवन् ! ते ए प्रमाणे छे.॥ १६७ ॥
भगवत् सुधर्मस्वामीप्रणीत श्रीमद् भगवतीमूत्रना वीजा शतकमां सातमा उद्देशानो मूलार्थ संपूर्ण ययो.
**
॥३१६॥
***
*
*
*
*
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330