Book Title: Bhagvati Sutram Part 01
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 264
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शतके | उद्देशा२ २५८॥ वस्म अहे पुढविसिलावयंसि अट्टमभत्तं पडिगिण्हित्ता एगराइयं महापडिमं उवसंपजित्ताण विहरति, तं सेयं व्याख्या-४ स्वलु मे समाण भगवं महावीरं नीसाए सकं देविंद देवरायं सयमेव अचासादेत्तएत्तिकहु एवं संपेहेइ २ सयणि ज्जाओ अब्भुटेइ २ त्ता देवदूस परिहेइ २ उववायसभाए पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं णिग्गच्छइ, जेणेव सभा मुहम्मा ॥२५८ जेणेव चोप्पाले पहरणकोसे तेणेव उवागच्छद २त्ता फलिहरयणं परामुमइ २ एगे अबीए फलिहरयणमायाए महया अमरिसं वहमाणे चमरचंचाए रायहाणीए मज्झमज्झेणं निग्गच्छह २ जेणेव तिमिच्छकूडे उप्पायपव्वए तेणामेव उवागच्छद २ त्ता वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणइ २त्ता संखेलाई जोयणाई जाव उत्सरवेउ. वियरूवं विउबह २त्ता तार उकिट्ठाए जाव जेणेव पुढविसिलापट्टए जेणेव मम अंतिए तेणेव उवागच्छति MIR मम तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेति जाव नमंसित्ता एवं वयासी| श्रमण भगवंत महावीर, जंबूद्वीप नामे द्वीपमा, भारतवर्षमां, सुसमारपुर नामना नगरमां, अशोकवनखंड नामना उद्यानमा अशोकवृक्षनी नीचे पृथिवीशीलापट्टक उपर अट्ठमना तपने आदरीने, एक रात्रिनी महाप्रतिमाने स्वीकारीने विहरे छे. तो हुँ श्रमण भगवंत महावीरनो आशरो लइ देवेंद्र देवराज शक्रने तेने शोभाथी भ्रष्ट करवा जाउँ, ए मारे कल्याणरूप थशे. एम करी एम विचारी ते चमरेंद्र पोताना शयनमाथी उठी, देवदृष्यने पहेरी, उपपात सभाथी पूर्व दिशा तरफ नीकळ्यो. अने जे तरफ सुधर्मा सभा छे, जे तरफ 'चोप्पल' नामनो हथीयार राखबानो भंडार छे ते तरफ ते चमर गयो अने त्यांथी ते चमरे परिघरत्न नामर्नु हथीयार लीधुं. पछी ते, एकलो, कोइ बीजाने संगाते लीपा विना ते परिघ रत्ननेलइने मोटा रोषने धारण करतो चमरचंचा राज For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330