Book Title: Bhagavana Mahavira Hindi English Jain Shabdakosha
Author(s): Chandanamati Mata
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan
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निश्चय उपगुहन
306 भगवान महावीर हिन्दी-अंग्रेजी अन शनकोश निश्चय उपगहन - Nifrayatpagilretres.
निश्चय दर्शन - NisrayaDar.ion Absolutely free from all passione.
View of absalute perception (soul a supreme मुनि अवस्था में सिद्धों की मर्थात् शुद्धात्या वी भक्ति से युक्त परम चैतन्य की विलास कप लक्षण पाली प्रतीति अर्थात् हाना और रोगादि भावों से युक्त नहीं होना अर्थात अपने शुक्षाधव ही उपाद है ऐसी दढ प्रतीति। इसका निक्ष निधन-निषि आया को दुषित करने वाले निष्यान्य गणादि गति के साथ अविनामापी संप है। विभाषधों का विनाश करना ।
निश्चय धर्म - Nirant Direrna. निश्चय कर्ताकर्म -"-i- nikaranm. PaisrAgrired1cncent
A viewpoint of laking self as the doer of own गुग अवस्था में रागटेक सोहकर निजागा में नास करम । purevolitions.
निश्चय ध्यान -Wiserayn Dhwittri अत्म' ताम्तन में आने शुद्ध भाषा दिनद्रव्य
Absolute meditation or complete engrossment के निमित संहने वाले भाचो या बाई नहीं।।
नि अवस्था में नकल विवादो को मोड़कर और आत्मरयम्प निश्चयकाल - Nistraya Krita.
में मन को पककर आत्मा के आनन्द में निमान मा गना । Time factor causing Iranstormation of any entity. निश्च य नय-Nifraya Navr. वाल जी परिणभन कान में कारणा होला है मान जी सर्वद्रव्य के
Absolute slandpoint परिणमन में उदासीन निमित कारण है. इसी के आधार पर जानय वस्तु के अमली स्वभाव या अभेद रूप को प्रहण करता व्यवहार काल ना शता। निश्चयक्षमा -Niscarskaorter
निश्चय निर्विचिकित्सा -Nisraya Nirvirikitst. Absolute beral conduct, free from agitation on
Tending towards knowing oneself or goul per others' misconduct.
fectly. माधुओं अदि को दृष्टजन द्वार गारग-गलौउ, उहाय, निरस्तार
पनि अवस्था में समस्त राग-ट्रेन आदि विकल्प सपनरंगों का आदि करने पर भी उनके मन में कल्पना का उत्पन न होना
था। करके निर्मल आत्मानुभव लसण की निज शुमामा 4 ब्यवहारक्षमा है तथा क्रांध के प्रभाव पात्या गे उन्मयता का
स्थिति करना । होना निहय क्षमा है।
निश्चय पंचाशत - Nikeray Purneasan निश्चयगुप्ति - Niscaysgupri.
Name of a realise. Absolute purity of soul (
wh mind. speech & शीभवभय विषयक एक प्रय-पग्रनंदिपचमिंशतिका का एफ body)
अध्याय । मनि अवस्था में सहज शुद्ध आत्म-भावमाया गुप्त स्थान में समार के कारणभूत गादि के भय से अपने को सिपाना अर्थात्
निश्चय पूजा - Nirava Prija.
To achieve the super knowledge of selt. मन पचन काय की रागादि प्रवृत्तियों में रिवृत्त लोग।
ननि अवस्था में “जा परमात्मा है बन ही मैं हूँ तथा जो निश्चयगुरु - Niscayaguru.
स्वानुभवागम्य में वही परमात्मा है, इसलिए मैं ही मेरे करा One having absolute perception of knowing him- उपासना के योग्य है" ऐसा विचार करना। अर्थात् आत्मा के self
ध्यान में एकरण हो जाना । निश्चय से भात्मा ही आत्मा का गुरु है क्योंकि मोक्ष मुख का
निश्चय प्रतिक्रमण -Niraya Prarikramaan. गायकर स्वयं ही उस परम हितका डार उसकी प्रफि में अपने को लगाता है।
Absolute panitantial relreal for good & bad
Karmus. निश्च यज्ञान -Mitrayajridua.
पूर्वकृत जो अनेक प्रकार के विस्तार वाले शुभ अशुभ कर्म Absolute or Mghi knowledge of self
हैं, उनको आस्मा से पृथक करके आत्मलीन होना। यह मुनि सम्यक न निर्विकल्प अपने स्वरूप का वेदन करनः निश्चय
अवस्था में ही बटित होता है । ज्ञान है। यह मुनि व्यवस्था में ही होता है।
निश्चय प्रत्याख्यान -Niscaya Pratyakhydna. निश्चयचारित्र - Niscayararitra
Absolute renunciation (to have real knowledge). Absolute right conduch, absolute meditation.
पुनि अवस्था में अपने से भिन्न पदों को पर जान उन्हें उसी माषु जीवन में ज्यवहार चारिश के बल से अंतरंग-बहिरंग
समय छोड़ देना । प्रातः वास्तव में ज्ञान ही प्रत्याख्यान है प्रेमा विकल्पो को त्याग कर आत्म स्वरूप में तन्मय होना ।
निक्षय का आत्या में स्थिर हो जाना । निश्चय तप - Niseaya Tapa.
fiyaa YT4-1 - Nifcuyu Prawutvand. Abaolule austarity (completely engrossed into
Enlightening the soul by the influence of righ! oneself
balial-knowledge & conduct. भूमि अवस्था में निवस्वरूप परिणमन होना अर्थात सपस्त
मुनि अवस्था में सम्पादर्शन, शान, चारित रुप लवम के परदय की इच्छा को रोकना निश्चय तपश्चरण है।
प्रभाव से आया को प्रकाशमार करना ।