Book Title: Bhagavana Mahavira Hindi English Jain Shabdakosha
Author(s): Chandanamati Mata
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan
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Lord Mahavir Hindi-English Jain Dictionary
रहता है। अत इन॥ उन्माद और व्यय स्वभाव से होता है। स्वपक्षसाधक हेतु - Svaperksa Sathakn Hesw A motive for one's own fulfilment
हेतु स्यपक्ष का सम्पर्क और पर पक्ष का दूषक होना चाहिये अर्थात् अपने अभीष्ट अर्थ की सिद्धि करने वला हेतु । स्वपर अवभासक - Statparn Avrbhasarkar. Something (soul etc) possessing the knowledge of self and other matters also स्व और घर को जानने वाला स्वपर अवभासक कहा जाता है। जैसे दीपक स्वयं का भी प्रकाशित करता है एवं अन्य को भी । अथवा दर्शन के द्वारा आत्मा का ग्रहण होता है, तब स्वतः ज्ञान का तथा उसमे प्रतिबिन्धित पर पदार्थों का भी ग्रहण होता है अस आत्मा ही स्व-पर अब्यासक है ।
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स्वपर चतुष्टय Svapourn Catastawr.
Quartet of the properties of matter (In relation to bravwe. Kshetra, Kal Bheri related to sell & others.
द का अपना द्रव्य क्षेत्राला स्वततुष्टय एक इतर द्रव्य-क्षेत्र काल-भाव 'परचतुष्टय' कहलाता है। इसकी अपेक्षा ही वस्तु में अस्तिरित भेदाभेदपना पाया जाता
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स्वपर चारित्र
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Svaparn Caritra.
Perfect and Imperfect right conduci निश्यय-ध्यधार चारित्र । निज शुद्धात्मा के संवेदन में अनुचरण करना अर्थात् समता व स्वच्चारित्र तथा शुद्धात्म रूप से रहित होकर रागभाव रूप परिणमन अर्थात् शुद्धोपयोग से विपरीत परद्रव्यों शुभ अशुभ भाव रूप परवारित्र है।
स्वपर तत्व - Svapare Turte
Right element pertaining to the path of salvation.
भेदाभेदात्मक अर्थात् निश्चय व्यवहार नोक्षमार्ग। आत्मनि 'स्वस्थ' (या निश्चय नोक्षमार्ग) तथा पर्याय प्रधान व्यवहार न मे गम्यग्दर्शनाचारित्र व्यवहार मोना अर्थात् 'परतत्व' ।
स्वपर प्रकाशक - Svapura Prakasha. Omniscience (causing enlightenment of self & others).
ज्ञान। केवलज्ञान जो नियनय से स्व को और व्यवहार नय से पर को जानता है ।
स्वपर भेद विज्ञान Svrpara Bheda Vijniitra. Pertaining to great spiritual knowledge (descriminating self & athers).
तरच का ज्ञान तथा आरभद्रव्य से विपरीत तत्त्वों
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भेद ज्ञान का ज्ञान ।
स्वपर विवेक Srapura Viveka. Right & real knowledge (descriminating sell & athers)
सम्यग्दर्शन, जीव अजीव की पहचान अर्थात् यस्तु स्वरूप का ज्ञान ।
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पर्याय
- S. 20 Siv
The absolute pure form of soul.
शुद्ध पर्याय केवलज्ञान के द्वारा निष्पन्न जो अनन्त है बही 'निज पर्याय है और क्षयोपशम के द्वारा व शेयों के द्वारा चित्र-विचित्र पर है।
स्वपाक SvapaTikhea
Name of a super power possessed by Nami & Vinaml Vinyadhars.
धरमेन्द्र को दिति देवी के द्वारा नाम और विना विद्याभ को दिया गया एक विद्या निकाय ।
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स्वभाव अनित्य नय
स्वप्न - Suerpra
Dream, one of the 8 parts of causative
knowledge (Nimittagur
कल्याणपाद पूर्व में वर्णित निमित्तज्ञान के 8 अपो में प्रथम अग स्वप्न दो प्रकार के माने गये है- स्वस्थ स्टप्न और अस्वस्थ
स्वप्न !
स्वप्न निर्मित ज्ञान Svapreet Narisaur Jhanva Knowledge caused due to dreams. स्वप्न के माध्यम से शुभाशुभ कर जान लेना स्थान निर्मित्त ज्ञान कलाता है।
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स्वप्न (सत्य-असत्य) - Seepree SarparArary). Right & false dreams.
स्वस्थ अवस्था में दिखने वाले तथा देव से उत्पन्न होने वाले स्वप्न सस्य होते 1 एवं अस्वस्थ अवस्था मे तथा दोष से उत्प होने वाले स्वप्न असत्य होते हैं।
स्वप्नातिचार Sapnaticaro.
An Infraction, use of unusable mailers in dreams
अतिचार का एक भेद, स्वप्न में अयोग्य पदार्थ का सेवन होना ।
स्व प्रकाशक - Sea Prakasarkar.
Self revealing knowledge
ज्ञान। निश्चय नय से ज्ञान स्वप्रकाशक है । स्वप्रतिभास Svapratibhise
Sell apprehension
स्वप्रतिष्ठास को केवल दर्शन कहते हैं ।
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स्वप्रस्थय उत्पाद Svapratyaya
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Self origination caused due to increase & decrease in the property of non-gravity-levity. आत्मा में अगुरुलघु गुणों की वृद्धि और हानि के नियिं से होने वाला उत्पाद स्वप्रत्यय उत्पाद है.
स्वभाव - Svabhara
Nature, property, characteristic
वस्तु का असाधारण और शाश्वत धर्म ही उसका स्वभाव कहलाता है। जैसे जीव का स्वभाव चेतना या जानना, देखना है। स्वभाव अनित्य नय - Senbhāver Arsitya Naya. A standpoint related to non-eternity in pure nalute.