Book Title: Bhagavana Mahavira Hindi English Jain Shabdakosha
Author(s): Chandanamati Mata
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan
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Lord Murrir Hindi-English Juin Dictionary
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स्वरुप संबधिम
pasi birth's stale of Lord Rishabhdev) who strengthened the Mahabal about Jain nallon जो जीय पोपदेश के बिना स्वयं ही पोक्षगार्ग को प्रापा कर लेते है उन्हें स्वयंभू या स्वयंबुद्ध कहते हैं। सवान ऋषभदेव के 1008 माना म एक्त गाना भगवान पदक 100 पूनमय की शहा महाग्ल का पर्याय मे जिमची ने उन्हें सम्यक्त रूप जैनधर्म में दृव किया था। स्वयंभू - Sraparibhi. Name of the 19th predestined Jaina Lord, The first chief disciple of Lord Kunthunath, Lord Parshvanath, The main listener in the essenbly of Lord Vasupujya भायीकालीन 19 वें तीर्थकर, तीर्थकर पंथुनाथ व पाश्र्वनाथ के मन्यग गणधर, तीर्थकर बासुपूज्य के मुख्य श्रोता । स्वयंभू (कवि) - Svayambhu (Kavi) Name of a greal ancient poet. अपभ्रंश के प्रथम कवि कृतियाँ-परम चरिउ, रिखनेमिचरिउ, स्वयंमूर, स्वयंभू व्याकरण, पचमि परित, हरिवंश पुराण । समय -ई.734-8401
-Svayaintbha Chanda. Name of an Apparansh poelies willen by poet Sviryambhu. कवि श्ययंपू(.734-840) कृत अध्यायों वाला अपक्ष
एंद शारख। स्वयंभूरमण - Svayashibharamana. Name of the last island & the best acaan of middle unlversa. मालोक वा अतिम टीप एवं अंतिम सागर जिनशा जलसापान्य
जल जैसा होता है। स्वयंभूस्तोत्र-Svayniinhhusrore. Name of a famous eulogical composition composed by Acharyu Samantbhadra. आचार्य समन्तभट (..2) कृत सस्कृत छंदबद्ध म। इसमें 24 तीर्थंकरों का स्तवन न्यायपूर्वक अनेकांत की स्थापना करते हुए किया गया है। कुल श्लोग 143 है। स्वयंवर - Svayarivara An ancianl Indition of choosing a bridegroom Dy a bride. Father's name of the 4th Jain. Lord Abhinandannath. एक प्राचीन ज्या - एक राजकुमारी द्वारा अपने पति का धुनाव करना, अयोध्या नगरी के राजा, इनकी रानी सिद्धार्धा थी और
पौधे तीर्थकर अभिनन्दननाथ भगवान के पिता थे। स्वयशोधक-Svayaniodthaka. One who repents himaalt for his foulls. not before the preceptor (it is an Infraction). प्रायश्चित देने से पूर्व ही स्वयं प्रायश्चित्त लेने वाला स्वयं गोधक कहलाता है (यह एक अलियार है)। स्वर-Sara. Volce, tone, wna, musical notes.
मा अष्टांग निमेरान का एक भेद, यह दो प्रकार का होता है-तु:स्थर और मुस्वर ! इनसे इष्ट और अनिष्ट पदा के गप्त होने का मकेत प्राप्त होता है। नंगीत माला से सम्पन्धित मध्यम.का. गाधार, क्युज, पवन, पता और निषात 7म्बर। ये अरोही और अपरोपी दोन हातहै। स्वपकीर्ति-Sivirokirti Name of a Hirostran ol Nand group नंटिसंप बलात्कार गण की पट्टारक आम्नाय वारा ही नदी के पट्टारक (समय - वि.सं. 1167). परनाम सूरततीति। ये धावनंदिके मिष्य तथा मधाचन्द्र के गत थे। स्वरक्षा- Svaratkse To have right or pure conduct, self defence शुद्ध भाव रखना ही स्वरक्षा प्रान अगरक्षा है, अतिसा काः सिद्धान्त स्वारण रक्षा के लिये ही है। स्वर नाम कर्म-Svara Nanakarma.
Physique making Kermie nature causing volca. जिस कार्य के उदय से मनोज स्थर की रचना होती है वह सुस्वर नामकर्म है. इससे विपरीत दुःस्वर नापजम है। स्थर निमित्तान-Srura Nimirta Jninn. inferential knowledge caused due to the voice of beings. मनुष्य कलियों के विचित शब्दों को सुनकर शुभाशुभ को जान
लेना स्वर निमित्त शान कहलाता है। देखें-स्वर । स्थराज्य क्रिया-Svarajya kriydi. An auspicious activily of anthronement. गृहस्थ की53 क्रियाओं में 43बी क्रिया। राजाओं के द्वारा राजाधिराज के पद पर अभिषिक्त करना अतः संपाद पद पर
अभिषिक्त होना स्वराज्य प्राप्त क्रिया कहलाती है। स्वरूप-Svaripa. Own formar shape, Nature
कृति, आकार, लक्षण । स्वरूप (देव)-5varipa (Deval, A type of perpatelk det of Yaksh type, Name of an indra of some peripatetic deities ol Rhodt Typea. यस जाति के व्यतर देश के 12 भेदों में 10 वा भेद,पूल जाति के व्यंसर देवों का इन्द्र ।। स्वरूपलय-5varipalaya. Engrossment into self.
कल्पना माल को दूर करके वेतन्य आदमय स्वरूप में तल्लीनता। स्वरुप विपर्यास - Svaripa Viparvisa. A contrary wlawpolnt regarding the form of matter. मिथ्यात्व। जिस पदार्थ का जो लमाण है उससे विपरीत उसका
स्वरूप समझना । स्वरूप संबोधन - Svarupa Sambodhana, Name of a composition composed by Acharya