Book Title: Bhagavana Mahavira Hindi English Jain Shabdakosha
Author(s): Chandanamati Mata
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan
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स्वभाव क्रिया
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भगवान महावीर हिन्दी-अंग्रेजी जैन सम्वकोश सहागौण उत्पादम्याग्राहक रूपाय अनित्य शुरु ज्यामाथिक स्वभावशद-Surbhivavida. मय है।
A doctrine related to the nature of a malter. स्वभाव क्रिया -Svabitavakriya.
कोटे आदिमें तीक्ष्णता एवं पशु-पक्षी आदि अनेकपना उनमें Natural activities tol sll matters).
म्बमाच संही है ऐसा एकास सं स्वभाव को मानना एवं छान गतिरूप क्रिया के 10 दो में एक मेद। जीबीका दिया
है,
उ से . .. अद्वैत सिद्धि गमन और पदार्ग की स्वभाव क्रिया परमाणु की गति है। स्यमाप में लीन है ऐमा निश्चय स्वभाव वाद है। स्वभाव गति-Serbhira Gan.
स्वभावविरुखानुपलब्धि हेतु - Movement of salvated soul.
Swabliwwiruddhānupatatadhi Here मसंगति जीव की स्वाय गति है।
A type of cause reg. absence of some counter स्वभाष गुणपर्याय- Srabhiva Guerrapursaya.
property topposite to the realone) in a matter. Different natural forms of a matter.
अनुपलब्धिहेतु के प्रतिषेधस्य विरूद्धानुपलधि के तीन भेदों में द्रव्यों के अगुतलघु गुण के अनंत अविभाग प्रतिष्दों की समय
एक भेद। हर एक पदार्थ नित्प, अनिस्य आदि अनेक धर्मवाला समय में उत्पन्न होने वाली जी पर्याय है यह ट्रष्यों की स्वभाव
है, क्योंकि नित्यत्व आदि एक धर्म का अभाव है। गुणपर्णय काठी गयी है।
स्वद्रव्यादिग्राहक द्रव्यार्थिक नय - स्वभाव गुण व्यंजन पर्याय -
Svadrovycidi Granaka Dravyarthika Naya.
A slandpolni accepting the real natura of a Svabtuiva Guna Vwmjana Parvey
matter. Natural momentary slates of omniscients &
जो नय स्वदय्यादि चतुष्टय की अपेक्षा से दप्य का सात स्वरूप ditetent states of matters el केवलानादि अनंत चतुष्टय स्वरूप जीव की स्वभाष गुण योजन
ग्रहण करें। पर्याय ने तथा परमात्र में रहने वाले एक वर्ण, गंध, रस तथा स्वभाव सिद्ध - Ivabhava Siddha:
अविरुद्ध दो स्पर्श पुदगल ट्रस्य की स्वमाय गुण प्यजन पर्याय है। Selt proved or identified matter स्पाय शान - SvabhavaThane.
अहेसुका या स्वत सिद्ध । जैसे -पास्तव में प्रज्यो में प्रध्यान्तर
की पत्ति नहीं होता, क्योंकि सई द्रव्य स्वभाव सिद्ध है उनकी Self revealing knowledge, natural knowledge.
स्वभाव सिद्धता अनादि से है। जो इन्द्रिय रहित अनहाय केवलज्ञान । यह स्वभाव ज्ञान है। स्वभाव वन-Svabhiva Darsana.
स्वभाव स्थिति-Svabhava Stuti. Sell rovealing perceplion
State of absolute engrossment in soul. गेहन्द्रिय हित और असहाय केयनान है यह स्वभावदर्शन
निश्चय रत्नत्रय। स्वरूप में लीनता या निश्चल अवम्यान ।
स्वभावाराधना - Svabhavaridhna. स्वभाव द्रव्य पर्याय-SvahhainaDrusya Parviya.
Engrossment in self. Natural stales of matters.
करता. माध्यस्थता. शुद्ध भाष, वीरारागाला, धर्म, स्वभाव की कर्मपाधि रहित पर्यायें स्वभाव द्रव्य फ्यायें की जाती है। सम
आराधना गे एकार्थवादी शक है स्यं इन सबको ही स्वभाव की दथ्यो की जो अपने अपने प्रदेशों की स्वाभाविक स्थिति है वाती माराधना कहा गया है। दव्यों की स्वभाव क्याय है।
स्वमुख उदय-5varmukha rdaya. स्वभाव द्रव्य यांजन पर्याय -
Natural fruition of Burmes.
कर्म प्रकृतियों का आपरूप होकर ठी सदय में आना स्वमुख उदय Svabhaia Drawwi Vwimjana Parydya. Natural state of soul points in the salvated form.
है एवं अन्य प्रकृति रूप होकर उदय में आना परमुस उदय है। बिना दूसरे के निमित्त से जो घ्यजन पर्याय होती है वह स्यमाय
पास स्वयंप्रथ-Svayranprabha. दव्य ध्यंजन पर्याय है। पीच का सिद्धपने का आकार ण उश्चि । Name of the 4th predestined Tirthankar (Jalna की सिम्पाय।
Lord), Nama at a summit of Ruchat mountain.
धावीकालीन चौथे तीर्थकर, लयकपर्वतपस्थ एक कूट। स्वभाव मय-SwabharaNayu.
स्वयंप्रभ पर्वत-Svayatimprabha Parvata. A lendpoint expressing the real nature of matter.
Anolher name of Sumeru Mountain सव्याक नय, द्रलय के वास्तठिक स्वभाव का कश्चन करता है।
सुमेरू पर्वत का अपरमाग | स्वभाव पुदगल-Svabhava Pudyala.
स्वयंयुद्ध - Suryarioudtiha. A pure paructe af a Pulgar.
Seltenlightened one on the path of salvation), एदाज ट्राय के दो भेदों में एक भेद। पुदगल का एक शुद्ध परमाणु
One of the 1000 nemes of Lord Rishabhdev, 'स्वभाव पुदगल' और स्कंग विभाव पुद्गल' कहलाते है।
Name of a Mantri of king Mahabal (the 10th