Book Title: Bhagavana Mahavira Hindi English Jain Shabdakosha
Author(s): Chandanamati Mata
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan
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Lord Mahavir Hindl-English Jain Detonary
सप्तपरमस्थान सन्निपातिक पाव - Sanizatika Beive. सप्तकरण - Suprakareerut, Assembling. collerion, comolhng trej.ton- JEven typesaikin ntconducts, dispostion, peraments).
operations) पिस्ना, सम्मिश्रण. विविध मंचय। एक ही गुणस्थान या माः करण- अध:करण, पूर्वकाण, अनितिकरण, फमकरपा, जीवसपा में जबात में भाध आकर एकत्रित होते है, उन सन्तरकरण, देशवासीकरण. आपककरण । भानों की सत्रिपासिक सा है।
सप्तकुम्भ - Saptakumbie. सन्निवेश - Semivesta
Aparticular proceduralvowttasting) Assembling. sitting together. Assembling place. एक त । इसमें उत्तम विधि में 496. मधाम विधि में 153 एकत्व होना, एक माथ बैठना, स्थान, देश के स्तापी के रहने एवं जचाय विधि में 45 उपवाय विधिपूर्वक किये बाते । तथा के स्थान का नाप मनिवेश है।
तीनों विधियों में मोकार, माका निकाल जाप किया जाता है। सन्मति - Seemati
सप्तक्षेत्र - Supraksrtra. The other name of Lord Mahavira, Name of the Seven roglons of onbedorp (Island) - Horat. 2 Knikar (Ethical founder)
Hairmat. Hari, Vidch. Ramuk. lairanulat & भगवान महावीर का अपरनाम, मत नाम पालने में झूलने Eravar Krheere बालक वर्द्धमान को देखकर संजय और विवय नामक चारण अबृद्धीप के भरत, हैपन्त, हार, घिदन, रायक, हरश्ववन ज्व ऋरिपारियों ने अपना संदेह दुर हमें पर रखा था। प्रतिश्रुति रिश्वत क्षत्र । कुलकर का पुत्र दुम्रा कुलकर। इन्होंने प्रगा को ज्योतिष विद्या सप्तच्छद - Supwarrhada. का मूल गर्ने बतायीं थी ।।
Name of the initiation & Omscience tree of Lord सन्मतिकीर्ति - Samankirti.
Ajitnah & Dhamanath Name of a Hartarak af Nandi group.
पिनों के तबकों में युक्त एक वृक्ष, सप्तरीका अपरनाम। सुपतिकार्ति, धिप बलात्कारमण ईपर गही के भट्टारकका
तीर्थकर अजितनाथ एवं पार्षनाथ में इसी तृप्स के भीत्र दीक्षा ली अपरनाय ।
थी और केवलज्ञान प्राप्त किया था । सन्मप्तिसागर( आचार्य)- Sarpretisagars tirirvaj.
aantitani सप्त तत्थ -SaptNTam Name of the chial disciple of Arhuinn
Savan universal erlilies (fivo, Ajiva. Asraver. Mahavirkisti ol Arktikar tradition
Beach, Samwt. Manara & Moksi आचार्य श्री अदिसागर अकलीकर की परम्परा में हुए आचार्य
भीष, अवीव आला, बा, संवा निर्बग और मोक्ष मान श्री महावीरकीर्ति महाराज जी के पट्टाचार्य (समय-ई.z०वी तय है। शताब्द।
सप्तद्वीपिक भूगोल - Supradvipika Bhigola. सपर्या - Sapaaryi.
Geography of seven particular islands on the Rilual activity
earth which are interrelated to one another (ac
cording to Vedic geography) याग, यश, पूजा. सपर्या, ज्या, ऋतु, अदर, मख, मह यह
वैदिक भूगोल त्रिसके अनुमार. पृथिवी पर उ, प्लक्ष, शाल्मल, सब पूजा के पर्यायवाची नाम है।
कुश, कोच, एक और पुष्कर 7 द्वीप तथा लक्षपोद, HUGMH - Singidalukso.
झुरम, सुपेद, मम्मिलिल. दधिनोय, भीगेध और. स्वादसलिष्ट Name of a country where Prandir Ashadhar was
ये। ममुद जो चूड़ी के आकार रूप में एक दूसरे को पेष्टिः born at Mandalgarn city
करके स्थित है. एक देश जिसके मापलगहनगर में पं. आशाधर बी का जन्म
सप्त नय-SaptaNaya. रवि. सं. 1230 में) हुआ था ।
Seven kinds of standpoints सप्त ऋषि -Saptassi.
नैगम, संग्रह व्यवहार. काजुसत्र, शद, सममिगढ़ एवंभूत। Group of 7 particular saints, who were real broth
इन सात नयों में प्रारंभिक नीम दण्यार्षिक स्य तथा मंतिम धार चारण प्रदिधारी 7 विशेष मुनि- सुरमन्यु, श्रीमन्यु, श्रीनिश्चय,
पर्यायार्थिक नय कहलाते हैं । सर्वमन्दर, जयंचान, बिनयतालस और जयमिया उत्तम तर के सप्त पदार्थ -Sapra Padartha. कारण गरी माई सप्त ऋवि कहलाये। इनके प्रभाव से म्युरा Sen. Saprot Teettva. भगरी में बमरेन्द्र यक्ष द्वारा प्रसारित महामारी गंग नष्ट हुमा का।।
सात तल ही मात पदार्प काला है। देखें-सप्स तला। सप्त ऋषि पूजा - Saptansi Pujfi.
सप्तपरमस्थान - SaNa Parana Sthird. A raverential worshipping book written by
Seven super slages in three lok tworkis), A Mangranglal
type of vow (fasting) मनरंगलाल (ई. में 1850-1890) द्वारा रचिन पूजा ।
तीन लोकों में मान्य सान उत्कृष्ट म्यान, मज्याति, सद्गृहम्म, पारिवाज्य, सुरेन्द्रा, सायाम्य, परमान्य और परम निर्यापा।
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