Book Title: Bhagavana  Mahavira Hindi English Jain Shabdakosha
Author(s): Chandanamati Mata
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan

View full book text
Previous | Next

Page 608
________________ Lord Mahavir Hindi-Engilah Jain Dictionary है। इस पृथिवी से एक राजु नीचे टांक क. अत है । सात व्यसन Sāta Vyasaree. Seven kinds of bad addictions (gambling, nonveg eating wine dnnks, prostitution, hunting, slealing, licentiousness) जुश्रा, मांस, मद्य, वेश्या शिकार, चरी और परखरमण सात व्यत्न महाना है । भातस्तान् Satya Supe Seven dreams (seen by Narayan's mother and by king Shreyans) नरायन की माता के ? स्वप्न मूर्य, चन्द्रमा, दिगाजी द्वारा लक्ष्मी 42 अभिषेक, आकाश में नीचे आता विमान, वैदीप्यमान अग्नि, रत्न राशि पुख में प्रवेश करता सिंह राजा श्रेयांस के 7 स्वप्न सुनेपर्यंत अभूषण से सुशोभि1 कल्पवृक्ष. किनारा उखाड़ना बैल, सूर्य वन्द्र रत्नों की नहरों से सुशोभित समुद्र, अश मंगल लिये व्यंतर देवों की मूर्तियाँ । साला Seūtra. 1 - Pleasure. bliss, merriment. सुख अर्थात् नाप भात्या का परिणाम । साता वेदनीय - Surg Vedarniver Pleasure giving Karmas. वंदनीय कर्म के दो भेद एक भेद जिसे कने के उदय से जीव को पुन्द्रिय और मन सम्बन्धी सुख की प्राप्ति होती है सातिप्रयोग - Satprayoga. A lype of illusion, wrong practices of telling lie for maney, ernbezzlement etc. माया के 5 मंदों में एक भेद धन के विषय में असत्य बोलना, किसी की धरोहर का कुछ भाग हरण कर लेना, दूषण लगाना अध्यक्षः झूठी प्रशंसा करना नाप्रियांग माया है । सातिशय अप्रमत्त Sinisawr Apramatta. Saints rising on the 2nd substage of the 7th stage of spiritual development. अम्मत सयत के दो भेदों एक गेंद । जी साधु उशप यः साहिद अमन य क्षपक श्रेणी चढ़ने के सम्मुख महरूम है। सातिशय केवली A type of omniscient one. तीर्थंकर प्रकृति रक्षित, 75 अतिशय १७ केवलशार, 14 देवकृत 1 वृषभनारा मंडन ), 4 प्रातिहार्य (छत्र, सिंहासन, भामंडल दिव्यध्वनि), गन्धकुटी अनन्त चतुष्टय स "मातिशय केवली होते हैं। अर्थात् अतिशय युक्त केवली को 'सातिशय केवली' कहते हैं । 557 - - Satisaya Kevali. - सातिशय मिध्यावृष्टि - Sarisava Mistryudrsci. Wrong believers who are going to attain right belief प्रथमोगाम सम्वतव के अभिगुख जीव अतिशय मिथ्याटि कहलाते हैं । सात्यकिपुत्र Sātynkiputr. The 11th Rudren, the soul of predestined 24 ४० साधक श्रावक Tirthankara (Jaina-Lord 71 वें रुद भाविकालीन 24 से तीर्थंकर का जीव । सात्विक दान - Särvika trir. Right donation जिस दान में अतिथि का लित हो जिसमे सुपात्र का निरीक्षणा स्वयं दाता के द्वारा किया गया हो और दाना में श्रद्धा आदि समस्तगुण हो वह सान्निक- दान है । सावित्य पर्यायार्थिक नय - - Sadi Naya Paryāyārtiku Nayet. A standpoint believing the existence of supreme soul. पर्यायार्थिकन के में एक भेद परम का ग्राहक) शुद्ध निश्चयनय को नौग करके, सम्पूर्ण कर्मों के क्षय से उत् तथा चरम शरीर के आकार रूप पर्याय से परिणत शुद्ध सिद्ध पर्याय है. उसको विषय करने वाला अर्थात् उसको सत् समझने वाला नय सादि संघ Rebinding of Karmas Sardi Bandha. जिस कर्म के बंध का अभाव होकर फिर घड़ी कर्म उसे यादि बंध कहते है । सादिबंधी प्रकृति - Satliberindha Prakrti. A type of Kurmik nature with having property of rebonding जिस कर्म प्रकृति के अन्य का अभाव होकर पुनः बन्य होता है वह सादिबन्धी प्रकृति कमला है। सादि मिध्यादृष्टि - Study Muthindani. One degraded from the right path. सम्यग्दर्शन को प्राप्त करने के जोजवरकर पुनः मिध्यादृद्धि हो जाता है उसे सद-विध्यादृष्टि कहते हैं । सादि स्थिति बंध - Sidi Sthiti Barmatha. Rebinding of particular Karmir duration Le.. rebinding of Karms in reference to Schiri Bandh. विति कर्म की स्थिति के बंघ का अभाव होकर पुन- उसके बनेको मादि स्थिति सादृश्य- Sūdriya. Resemblance, smilarly एकरूपता, समानता, समान धर्म । कहते है। सावृष्य प्रत्यभिज्ञान - Sadriya Pratyabhujaana. Analogical recognition. स्मृति और प्रत्यक्ष के विषय भूत पदार्थो अदृश्या दिखाते हुए जो रूप ज्ञान का होना जैसे यह गी गय के समान है। साधक आवक - Sadhaku Sravaka. A type of householder (votary), who renounces all the attachments (from body, food etc.) for holy death (Sarmacfvi श्रावक के तीन भेदों में एक भेद जो श्रावक जीवन के अंत में शरीर, आहार आदि में पड़कर आत्म शुद्धि के लिए समाधिमरण की साधना करता है। श्रावक के छतों की (११ प्रतिमा ) धारण करने वाले शुलक भी मायक श्रावक

Loading...

Page Navigation
1 ... 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653