Book Title: Bhagavana  Mahavira Hindi English Jain Shabdakosha
Author(s): Chandanamati Mata
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan

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Page 572
________________ Lard MahavirHindi-Ergilsh Jain Dictionary 521 श्रीराधावल्लभ जो अंत में समुंदर यप्ति से दीक्षा ले मुक्ति गये। अगामी छठा श्रीपान आख्यान - Srnprila Athyinr. पालमद, पहाराण में इन्हें पां बसपद्र कहा है। Name of a realise written by Vadichandra प्रीदत्त-Sriddatta. चार्दिचन्द्र कृत भस्कृत भावाबद्ध पक रचना। समय 15B0Name of a great achure of the basic lineage of 1607 Lord Mahavira, Name of another Arharwa, the श्रीपाल शरित - Sripata Carita. writer of Jalp Nirnay Granth'. Name of many books wriman by different भगवान महावीर की मूल परम्परा में लाहाचार्य के बाद हुए एक writers. अगभारी आचार्य. सश्य ई.38-58)| एक प्रसिर तार्किक सकलकीर्तिकृत सस्कृत दबद. 1406-14421. भट्टारक दिगम्बराचार्य, इल्प निर्णय ग्रंप के रचयिता (सपथ-ई.स. श्रतमागर कृत संस्कृत गद्य रचना (ई. 1487.1499), कवि का उत्तराध) परिपल्ल(.1594) कुन... मेथिदतराई 1428), वादिबर श्रीधर - Sridhuru. (वि, 1637-1604) A हिन्दी गीन काव्य, दौलतराम Name of great Artharva, tha teamed one in (ई. 1720-1772) कृत मामा प्रथ । Mathematics and Astrology. Name of a poet श्रीपर पाश्वनाथस्तोत्रइणित तथा न्योति विद्या के विद्वाम दिगम्बराचार्य। गणितसार Sripura Parsvant.tratra संग्रह. ज्योतिनिविधि, गातक तिलक, लीलावती (मन्ना के An Aulogical religows hymn of Lord एपविता (ममब-ई.799-86511एक अपभ्रंश कवि सुकमाल Parshvanath. परिउ के रचयिता। (समय-ई. 11111। संस्कृत भाषाबद अंतरिक्ष पाश्नाचतांच वियक रचना । श्रीधर्म - Sridharme. श्रीमद्र - Subhedra. Past-birth sout of Lord Munisuvrei Name of the 22nd Tirsandar (Jaina-Lord) of तीनकर मुनिसुत्रात के पूर्वमन का जग्ब । JKaifier श्रीनंदन - Sriarindena भूतकालीन 22 सोचकर । The father of Sapatisk (particular 7 gaints). श्रीपूषण - Sribrisana. आँगन्यु आदि सप्तऋषियों के पिता। प्रीर्तिकर मुनि के केवलशान Name ota Bhattarot the wriler of many books के समय पक मास के पौडको राज्य देकर सार्ता पा सहित tha Shantinath Puran, Panday Puran olc दीक्षा ग्रहण की अंत में मुक्ति प्राप्त की। शपिनाथ पुराण, पांडप पुराण, पदशांग पूजा मा प्रबोध श्रीनदि - Srincist खिंसामणि के को पक पट्टारका। समय- नि. 1636-10761 The disciple or Sakalchandra Oi Nanal group. श्रीमंडप भूमि - Srimandapa Bhimi. नंदिसम देशीयगत में सकलचन्द्र के शिष्य तथा नयनंदि के Name of the lastLand of Samvaxharin having गुर। आपके लिए ही श्री पद्मनदि ने अम्मदीप पपत्ति लिखों great construction with evels पर। अपरगम समनंदि, सम्ब-ई. 968-1023 | समवशरण की 8वी भूमि। जो चाई कोर के आगे रत्न सभी श्रीनिचय - Sriniraye. पर आधारित समवसरण की अप्तिम भूमि है। वम भूमि में Name of a summit situated in Pacdarda (large स्फटिक मणिमय 16 दीवारों में विभाजित 12 कोठे होते है। pondi), Naara of the 3Rishi {salnt) amonga इन कोठों में ही 12 समाए होती है। पिम्यादष्टि अभव्य बन group of particular 7 Rishtes (seints). इस भूमि के भीतर नही आते । माद में स्थित एक कूट, सप्त ऋषियों में से सीसी ऋषि। श्रीमती - Srimarn. श्रीपर्वत - Sriparvata. A respectable addressing word for women, Name of a mounlain of Aharat A'sherra (region). Tha grend mother of Lord Mahavir भरतक्षेत्र का एक पर्वत । लंका को जीतकर राम ने यहां का त्रियों के लिए आदर-मुचक शब्द, सजा सर्वार्थ की गनी साम्राज्य हनुमान को दिया था। भगवान महावीर की शादी। श्रीपाल-Sripdla. श्रीमन्यु - Srinanyu. One who was gol married with Mainasundan Name of a lot of the group of 7 particular And was cured from leprosy by rallgious trent Saints (Saprisier). mont, Nams of king causad to Nomichandra सप्तशपियों में एक मुनि । Sardhantikdav to write Dravya Sangruh. मीराधावल्लभ- Sri Radhivallabha प्रयापर नगर के राजा अरिदमन का पुर। मैना सुन्दरी से Name atasect of Vaishnav philosophy. विवाह गया। कोही होने पा मैना सुन्दरी कृत मिचक्र विधान। पेणव दर्शन के शक्तिमंग तंत्र के अनुसार 100 में दूसरा के गन्धोदक से कुष्ठ रोग दूर हुआ। अंत में दीक्षा ग्रहणकर, भेद। हम सम्मवार के अरदिप्रर्वतक 1503 ई. में विश मांड प्राप्त किया। एक राजा जिनके निमित से नेमिचन्द्र मैद्धांतिकदेव गोस्वामी हए। ये लोग अपनप आदि में संलग्न पते।। ने मंग्रह की बना की थी (समय-ई. 1043 1083)|

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