Book Title: Bhagavana  Mahavira Hindi English Jain Shabdakosha
Author(s): Chandanamati Mata
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan

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Page 574
________________ Lord Mahavir Hindi-Engiluh Jain Dictionary 523 श्रुति श्रुतपंचमी क्रिया - Srutapancani Krryd. (सागरी), नरप्रकाशिका, प्राकृत व्याकरण, जिनसहरूनाम AkInd otrellulous devotional procedure of eu- टीका, वृहत् कथा कोश आदि अनेक कृतिय के रचयिता । lody. समा...37 15G ने आचः श्री पन्जा सोश शु.5 को श्रुतपंचमी कहते हैं। इस दिन सभी साधु महान महाराज से दीसित एक पुनि (ई.श. 20-20 भी हुए है। सिद्ध भक्ति और बहत् श्रुत मति पढ़कर श्रुतम्कंध की स्थापना इन्होंने आचार्यश्री विधानंद महाराज के द्वारा उपाध्याय पद काक श्री इन्द्रमंदि आचार्य विधि अतापतार का उपदेश देने प्राप्त किया। के अनन्तर बृहत् अत पक्ति व बृहत् आचार्य भक्ति पढ़कर श्रुतसागरी - Smasisari. म्याध्याय करते है पुनः वृजत् श्रतभक्ति पदका स्वाध्याय समापन Name of a commentary book on Tattvartherlus करके राति पक्ति पढ़ी आती है। यह ही इतपंचमी क्रिया written by Bhattints Shrutsager. (कृतिकर्म) है। श्रुतसागर पझरक कृत तत्त्वार्थनि की रीका का नाम । अतपंचमी पर्व- Srurrapariuram Panver. श्रुतस्कंध - Srutarkanha. Auspicious day of wrishtha Shiptia Panchmi Di The Dradehang Shru (12 spoorled parts of scrip worshipping scriptures Tural knowledge). स्थेस शुक्ल पंचमी 1 इस दिन आचार्य पुष मतबलि द्वारा जिनभाषित और गणाधर पराचित द्वादशांग श्रुत । पटूखंदागम ग्रंथ की पूर्णता की गयी थी, तदुपरांत मनुविध संघ श्रुतस्कंध पूजा - Sruarkaindha Puja एवं देवों के दाप ग्रंपराज की पूजा की गई थी. तभी से यह पर्व Name ol a worshipping hymn written by कोष्ठ मुदी पपी को मनाया जाता है और सर्वत्र पखंबागम Gangadas. आदि अंथ की पूजा की जाती है। गंगावास (इ. 1690-16931 कृत पूजा । अतपंचमी - Sruapurnrami Vrala, श्रुतस्कंध तत - Srutarkundha trata A particular type ol vow (feating), lo be observed Aparticular type of vow (fealing) to be observed with Apected procedure with specified procedure प रिक पेठ शुब्स को प्रतावतार के उपलक्ष्य माद्रपद माह में विशेष प्रकार की विधि में किया जामे माला में उपवाम काना। 'ओं ही दावशांग श्रमशानाय नमः' मंकी एक व्रत, इस करने की तीन विधियां - उत्तम विधि, मध्यम त्रिकाल आप करना । विधि, लघु विधि। इसका विस्तार विधान संग्रह से पड़े। अतभावना - Srelabhavani झुत्ताज्ञान-Smutajnana. A kind of auspicious ralladion. False songtural knowledge 5 उतम भावना में एक भावना। श्रुतभावना करना अर्थात् मिथ्यानुनझाना चौरशान, हिंस्वा शासपा महाभारत, समावण सदिषयक ज्ञान बारम्बार प्रवृति करना । आदि के परमार्थ शन्य होने मे मापन करने के प्रदोग्य श्रुतमुनि - Sruwaununi. उपदेश। The disciple of saint Abhayachandra Suni. श्रुतावतार -Srrativalaram. रिगीसार रीक एवं परमागमसार अंथ के रचयिता, जो अभवद The basic tradition of omnischents & Shrurteurtir सरि के शिष्य थे। समय ई. श. 13-अतिम पाद । thaving complete scriptural knowledge after श्रुतवंद - Srutavada, Lord Mahavire. भगवान महावीर के पश्चात् केवली व सफेवलियों की मूल Scriplural speech अंग प्रविष्ट और अंगवाह अत का कथन जिस वचन कलाप के परम्परा को ही युनावतार नाम में कहा जाता है। द्वारा किया जाता है यह द्रव्यभूत अतवाद कहलाता है, अनाव भुतावतार (प्रथ)- Srwavatara /Grantha). का एक पर्यायवाची नाम । Name of two differenl trealises willen by Acharya Indranandi & by Actanry Shridhar मुतवीर - Sralavira. आचार्य न्द्रनंदि(ई.श.10-111वारा रचित प्राकृत गाभारत Name of a Bhastanak of Sen group. भगवान महावीर के निर्वाण में 68 पर्व पर्यन्न की मूलसंघ सेनसंच या वृषध संगकी पट्टापली के एक मदारक । की पावली, आमाई श्रीमाई...14) रचित पातम्याद मुतसागर -Srutasāgara, Name of a saint in the group of Akampan मुति - Srn. acharya, Name of a bhattark of Nand group, also name of the disciple of Acharya Shrl Hearing, something heard, Ravelalion, The first Kunthusager Wuhen). Agradevi (x female divinity) of Surn the Sun) अकम्पनाचार्य के विस्व एक मुनिः इन्होंने राजा श्रीधर्मा के among ala मंत्रियों से शास्त्रार्थ कर उन्हें पावित किया था। नदीसंग सुनना या कोई सुनी हुईबात. उदामित होना, सूर्य की बलात्कार गण में पट्टारक विद्यामंदि-2 के शिष्य नयी श्रीचन्द्र 4 अप्रदेवियों में पहली अन देवी, अपरनाम घुति है। के गुरु यशस्तिलक चप्पु की टीका यशस्तिलकचन्द्रिका, तत्त्यावृत्ति ग्रंथ ।

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