Book Title: Bhagavana  Mahavira Hindi English Jain Shabdakosha
Author(s): Chandanamati Mata
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan

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Page 521
________________ 470 वर्णविभाग __ भगवान महावीर हिन्दी-अंग्रेजी जैन शब्दकोश मन्दिय की 18वी क्रिया: इसमें विवाह के बाद पिता की आशा एवं इनके 11 गपचर थे। मेघन-घाण आदि सम्पद प्राप्त करके पृथका मकान में रहने बर्द्धमान यंत्र- Vanthauntina Yashtra. की व्यवस्था करनी होती है, दीक्षान्तय की एक क्रिया-इसमें Ametallle plate engraved wlin some auspicious अपने सम्यक्स्वी होने का श्रादकों को विश्यास कराया जाता है। mystic words (Martres). वर्णविभाग- Varmavibhdga. विभिन्न रेखावृत्तियों में विशिष्ट अक्षर-मंधों प्रारा चित्रित किया Four classes into which Indo-Aryan society was गया एक यंत्र। early divided पर्समानसागर (धुनि)अध्यवस्था या वर्णभेद: क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र बाह्म । Vordithaminasdgara (Muni). वर्तना-Vartand. Name of a Digambar Jain sent, the disciple of Continuous Inperceptible minute changes in any Charitra Chakravarti Acharya Shri Shantisagar matler. Ji Maharaj and the older brother of his house द्वष्य के प्रति समय होने वाले परियर्तन अर्थात प्रत्येक दय्य । hold life प्रत्येक पर्याय में प्रति शमय जो स्वसचा की अनुभूति वारता है। चारित चक्रपती आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज के गृहस्थावस्था के बडे पई,जिन्हें अत्यन्त परवाधीपूर्वक आचार्यश्री वर्तमान काल- Vartamann Kila. ने घर से निकालकर पुग्दिीका प्रदान कार मोहमार्ग में लगाया। ये Period of present time. अत्यन्त निस्पृह वृत्ति के साधु हुए है। समय-ई. श. 201 चल रहा समय, विवक्षित पर्याय के प्रारम्भ से अन्त होने तक का काला यह दो प्रकार है-सूक्ष्म-एक समयमात्र स्थल- अन्तर्मुरते। वर्धपानसागर (आचार्य)मे लेकर सख्यान वर्ष तक। Vardhuningdguru (Acārya). वर्तमान ग्राहीनय- Varundna Grah Naya. Name of a Digambar Jain Acharya, the disciple of Acharya Dharmasagar Mahara) in the radi A standpoint believing the present mode tion of Charitra Chakravarti Acharya Shil (Paryav). Shantinagar Ji Maharal. कसूत्र नय,जो प्रत मावि पर्यायों को छोडकर वर्तमान प्रर्याय पारिखचक्रवती आचार्य श्री शांलिसागर मावाग की परम्परा के को ही ग्रहण करता है। एक दर्तमान प्राचार्य। इन्होंने सन् 1987 में पूज्य गणिनी श्री वर्तमान नगमग- Trtelegritatije नागपती तारा में पडत्याग कर उनसे धार्मिक पर्या A standpoint describing completeness for 011 का गहन अध्ययन किया एवं उनकी ही प्रेरणा से आचार्य श्री uncompleted work, to say completa for an un- धर्मसागर महाराज से मुनिदीक्षा ग्रहण की। सन् 1990 में आचार्य completed work. श्री अजितसर महाराज की समाधि के पहात चतुर्विध संघ ने जो कार्य हो रहा हो. पूर्ण न हुआ हो तब भी कठना पूर्ण हो गया। 10 जून 1990 को परम्परा के वयोवृद्ध मुनि आचार्यकल्प श्री वर्तमान - Varddhantana श्रेयांमसागर महाराज को परम्परा के पंचम पट्टाचार्य पद पर Another name of Lord Mahavira given by indras, अभिषिक्त किया. पुलः कतिपय साधु एवं श्रेसियों ने 24 जून Nama of a summit in the north of Rochakvar 1830 को मुनि वर्धमान सागर को दितीय पंचम पट्टाचार्य बना mountain. दिया, यहीं से इस अखण्ड आचार्य परम्परा मेदो भेदए हैं। कीर्ति तमा गुणों से वृद्धिंगत होने के कारण इन्द्र द्वारा प्रदत्त वर्षमानक- Varthamainake भगवान महावीर का अपरनाम, सचकबर पर्वत की उस दिशा Name of the dancing hall of Chakravarti (ert का एक कूट। peror) Bharalash. पर्समानवधि - Varddhananuacaritra शावर्ती भरतेया की मृत्यशाला। Namsofalrealsaralated to the biography of dla the biography or कर्मिला- Vamila. Lord Mahavirn. तीर्थकर महावीर के जीवनचरित से संबंधित एक संस्कृत ग्रंथ ।। Another name of mother of Lord Parshvanath. भगवान् पार्श्वनाथ की माता पामा देवीका अपरनाम। इनका कर्दमानवारिच- Varddhananacaritra एक नामापी जाता है। Name of greattia (aplc) written by a great poetAsag. of - Varpa. शक सं.910 के गहाकवि असग मरा लिखित 18 मप्रमाण A period of 12 months. Area. हिन्दी मायाव्य | 12 पास अब्बति दो अयन प्रमाण काल(अपरनाम संवत्सर), यर्थ का अर्थ क्षेत्र' भी होता है। बर्द्धमान महावीर - Varadhandna Malavira. Name of the 2411 Tirthanker (Jaina-Lord), वर्षाक-VarsDateka. वर्तमान चौबीसी के अंतिम 24 तीर्थकरुण्डलपुर के राजा Atime period of 10years. सिमर्थ एवं महारानी विशला के पुत्र लकी माय 72 वी काल का एक प्रमाण विशेष दस वर्ष का समय।

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