Book Title: Bhagavana  Mahavira Hindi English Jain Shabdakosha
Author(s): Chandanamati Mata
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan

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Page 393
________________ पारिणामिक गति 342 मे निर्मित पारित सिद्धार्थवृक्ष स्थापित किया गया है, जिसमें सिद्ध भगवन्तों की 4 प्रतिमाएँ विराजमान हैं। पारिणामिक गति - Parmāmika Gaur. Resultant rnotion of air, fire alc. स्वभाव गति पायु, अग्नि, परमाणु, मुक्तजीव, ज्योतिर्देन आदि की गति पारिणामिक परमाणु - Pārindrnikar Percente Resultant atoms with the properly of absorbing other atoms संख्यात, असंख्यात स्निग्ध या रूक्ष गुण के अंशों से युक्त अपने रूप में परिणयन करने वाला परमाणु । पारिणामिक धाव - Parinamika Ahaavn. A type of instinct of nature of lving beings बीवा के निज भावों में एक । इसके होते है जीवन भव्यत्व और अभव्यत्य । पारिणामिक ऋद्धि - Parinamnika Krletfai A type of supernatural power बुद्धि के 18 भेदों में 15 वें भेद अष्टांग महानिमित्त के तीन भेदों में तीसरा भेद-जिसके प्रभाव से निज-निब जाति विशेषों में बुद्धि उत्पन्न होती है (धवला पुस्तक मे । पारितापिकी क्रिया -Parip Activity causing pain to self & others साम्यायिक आलव की 25 क्रियाओं में एक क्रिया जो क्रिया स्वयं व दूसरे को दुख उत्पन्न करावं । पारियात्र Pariyātra. Northern part Vindhya country, Name of a mounLain विन्ध्य देश का उत्तरीय भाग, एक पर्वत । पारिव्राज्य क्रिया – Parivrājya Kriya - Abandoning of worldly life after completing household duties. कईन्वय 7 क्रियाओं में एक क्रिया, गृहस्थ धर्म का पालन करने के पश्चात् मुनि दीक्षा ग्रहण करना । पारिषददेव - Parisadadeva. - Friendly deities of a council. इन्द्र सभा के सदस्य देव. जो सपा में मित्रमन् होते हैं। पार्थिवी धारणा - Parthivi Dharand. A specified contemplation of Pindastha Dhyara ) visualising the scenes of earthen elements. पिण्डस्य ध्यान की 5 धारणाओं में प्रथम धारणा पिण्डस्थ ध्यान करने वाला योगी पहले शांत और सफेद समुद्र का ध्यान करे, फिर उसके मध्य में स्वर्ण कमल का चिंतन करे तत्पश्चात् उस कमल के मध्य स्थित कर्णिका में श्वेत रंग के सिंहासन का चिंतन कर उक सिंहासन पर सर्व कर्मों का क्षय करने में समर्थ नि आत्मा का चिंतन करे । पार्वतेय - Parvateyu. A type of Vidyadhars of Matang caste. मातंज जाति विद्याध का एक भेदः हरे रंग के वस्त्रों से तथा भगवान महावीर हिन्दी-अंग्रेजी जैन शब्दकोश नाना प्रकार की नाला व मुकुटों से युक्त । तं पाश्र्वकृष्टि - Parsvaksti. A type of Krisher (gradual destruction of passions) पहले समय में की गई कृष्टि के समान ही अनुभाग लिये जा नवीन कृष्टि द्वितीयादि सपयों में की जाती है. नूर्व कृष्टि के पात में ही उनका स्थान होने से बल पाए कृष्टि कहलाती हैं. पार्श्वदेव - Pitrsvardeva Disciple of Yashdevacharya and who wrote Sanglisamaysar. भगम्यमार के रचयिता एवं महदेवाचार्य के शिष्य । पार्श्वनाथ - Parsvanātha. Name of the 23 Tinlionkar (Jalna Lord of present era. वर्तमान चौरीसी के 23 वें तीर्थंकर का नाम वाराणसी के उपवंशी राजा अश्वसेन एवं वामदेवी के पुत्र इनकी ऊचाई साथ, आषु 100 वर्ष थी। तीटकर नेमिनाथ के पश्चात् 83750 वर्ष बीत जाने पर इनका जन्म हुआ. इनसे महावीर स्वामी ने 250 वर्ष का अंतर है । पाश्र्वनाथ प्रतिमा - Parivanātha Praund. Symbolic litol of Lord Parshvanath (with_ex• panded snake - hood). सर्प के फण से युक्त पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा होती है । पार्श्वनाथ काव्य पंजिका - Pärsvandtha Kavya Panjikā, A book written by Acharya Shubhchandra. आचार्य शुभचन्द्र (.1576556) द्वारा रचित एक संस्कृत काव्य प्रन्य । पार्श्वनाथचरित्र - Pārśvanishacaritra. A book written by Acharya Vadiraj - 2. आचार्य वादिराज द्वितीय (ई. सन् 1025] कृत एक ग्रंथ । पार्श्वनाथ पुराण Pārivanātha Purana. Name of book written by Kannad poel 'Parshva Pandit'. कड़ कार्य पाए पंडित (1205 ई. सन्) कृत ग्रंथ । पार्श्वनाथ विधान - Parsvanatha Vidhāna. A worshipping book written by Ganini Gyanmatl Mata]]. पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताओं द्वारा रचित 108 अध्यों मे समन्वित एक पूजा ग्रंथ । पार्श्वनाथ स्तोत्र - Parsvariatha Stotra. A philosophical hymn written by the poet Padmaprabh. कवि पद्मप्रभ (ई. श. 12 का भध्वपाद) द्वारा रचित एक स्टोन। पार्श्वपुराण - Parsvaparilyn Name of books written by different Acharyas कीर्ति (ई. 942), वादिराज (ई. 1025) आदि कई आचार्यों द्वारा रचित इस नामक ग्रंथ हैं । - P

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