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प्रदूषण, पररार:
नही
माशा सारियल, शाकाहार, फलार ज स पना होता
नहीं होती र शारित रोग भी
आकार में हर सन्तु को देखनाल कर जीवों की
पोरा करना है। उत्सर्ग समिति में नगर, ग्राम, रास्ता, पशु - निती , गोने, जन्तु से रहित निर्जन एकान्त, गुह्य स्थान में मल-मूत्र, गन्दगी, RRC का विसर्जन करना होता है। इससे ग्राम आदि में प्रदूषण, गन्दगी, जीवाणु नहीं फैलते हैं। इसे पर्यावरण की सुरक्षा, स्वच्छता होती है। सन्दर्भ स्थल 1. चाणक्य नीति 2. परमात्म प्रकाश 3. महाभारत अनुसासन पर्व 275/19 4. सुनिपात 3--27 5. धम्मपद 10/1 6. इतिबुत्तक, पृ. 20 7. मनुस्मृति 8. भावना द्वात्रिंशतिका 9. नी पादयामा 10. उमद 11. जैन आचार्य 12. जैन आचार 13. जैन आचार्य 14. शति भक्ति
प्राप्त -:55.00
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अईत् वचन, 15 (3), 2003
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