Book Title: Arhat Vachan 2003 07
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 121
________________ पाटनी, माणकचन्द गंगवाल, हीरालाल सोगानी, मोतीलाल जैन खंडवा, इन्दरचन्द चौधरी सनावद, कैलाशचन्द जैन बड़वाह, पी.डी. जैन, ललित बड़जात्या, हंसमुख गांधी, कमलेश कासलीवाल, बाहुबली पांड्या, होलासराय सोनी, कीर्ति पांड्या, दिलीप पाटनी, मनोज पाटोदी, निर्मल सेठी, राजकुमार पाटोदी, अनिल भौजे, श्रीमती इंदुमती जैन, पुष्पा कटारिया, आशा विनायक्या आदि द्वारा पुष्पमालाओं से अभिनन्दन किया गया। अंत में आभार कार्याध्यक्ष श्री प्रदीप कासलीवाल ने माना। स्वागत गीत श्रीमती साधना डोसी ने प्रस्तुत किया एवं संचालन किया श्री प्रदीप चौधरी ने। समागत विशिष्टजनों को अर्हत वचन के विशेषांक एवं सन्मति वाणी की प्रतियाँ भेंट दी गई। अध्यक्ष श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल द्वारा प्रदत्त स्वागत भाषण परमश्रेष्ठ राज्यपाल श्री निर्मलचन्द जी, यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय श्री दिग्विजयसिंह जी, मंचासीन विशिष्ट जन, सदन में उपस्थित महावीर ट्रस्ट के सम्मानित ट्रस्टीगण उपस्थित माताओं, बहनों एवं बन्धुओं। . सर्वप्रथम मैं महावीर ट्रस्ट, समग्र जैन समाज तथा नगर की अनेक धार्मिक, पारमार्थिक, शैक्षणिक संस्थाओं की ओर से महावीर ट्रस्ट के इस आयोजन में आप सबका हृदय से स्वागत करता हूँ। एक अन्तराल के बाद अपनों से मिलने पर खुशी तो होती ही है लेकिन यह खुशी कई गुना बढ़ जाती है जब कोई अपने गौरवपूर्ण उपलब्धि अर्जित करने के उपरान्त अपने बीच आते हैं। म.प्र. के लाड़ले राजनेता, वित्त आयोग के सदस्य एवं म.प्र. के एडवोकेट जनरल जैसे महत्वपूर्ण पदों के दायित्व का सक्षमतापूर्वक निर्वहन करने वाले श्री निर्मलचन्द जी के राजस्थान सदृश विशाल एवं गौरवपूर्ण इतिहास के धनी प्रान्त का राज्यपाल नियुक्त किये जाने से सम्पूर्ण प्रदेश गौरवान्वित हुआ है। मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता है कि श्री जैन हमारे महावीर ट्रस्ट के ट्रस्टी एवं मंत्री भी रह चुके हैं और इस प्रकार उनके महावीर ट्रस्ट से सतत गहन एवं आत्मीय सम्बन्ध रहें हैं। इस नाते महावीर ट्रस्ट परिवार को गौरव एवं विशेष सुख की अनुभूति हो रही है। परम श्रेष्ठ श्री निर्मलचन्दजी ने हर्ष के इन क्षणों में हमारे बीच आकर हमारे आनन्द को और भी बढ़ा दिया है। वस्तुत: आप का सम्मान समारोह आयोजित कर हम स्वयं गौरवान्वित हैं। आपके सम्मान समारोह के शुभ निमित्त से एकत्रित प्रबुद्ध नागरिकों, विशिष्ट राजनेताओं एवं सुविख्यात समाजसेवियों की इस संगीति को मैं महावीर ट्रस्ट के बारे में संक्षिप्त जानकारी देना चाहता हूँ। लगभग 29 - 30 वर्ष पूर्व भगवान महावीर के 2500 वें निर्वाण महामहोत्सव वर्ष के सन्दर्भ में म.प्र. से प्रवर्तित धर्मचक्र रथ के माध्यम से प्राप्त आय से एक कोष बनाकर महावीर ट्रस्ट के नाम से धार्मिक, पारमार्थिक एवं सार्वजनिक न्यास की स्थापना की गई थी जिसके संस्थापक अध्यक्ष मध्यभारत के लोकप्रिय मुख्यमंत्री स्व. भैया मिश्रीलाल गंगवाल थे। उनके निधन के बाद से मुझे यह दायित्व सौंपा गया। सम्प्रति इस ट्रस्ट में म.प्र. के 309 स्थानों के लगभग 1600 सदस्य है। 11 संभागीय समितियाँ एवं 150 सदस्यों की प्रबन्धकारिणी समिति कार्यरत हैं। ट्रस्ट के वर्तमान में 35 ट्रस्टी हैं जिनमें से अनेक आज इस सदन को गौरवान्वित कर रहे हैं। महावीर ट्रस्ट का कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण म.प्र. है। इस प्रारम्भिक संगठनात्मक जानकारी के बाद मैं अब गतिविधियों के बारे में कुछ जानकारी प्रस्तुत करना चाहता हूँ। शोध एवं अनुसन्धान योजनाएँ - अपनी सहयोगी संस्था कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर के साथ मिलकर महावीर ट्रस्ट ने सुविधा सम्पन्न सन्दर्भ ग्रन्थालय का विकास किया है। जिसमें 11000 से अधिक पुस्तकें एवं लगभग 1050 पाण्डुलिपियाँ सुरक्षित हैं। 350 पत्र - पत्रिकाएँ भी नियमित आती हैं। विश्वविद्यालय अर्हत् वचन, 15 (3), 2003 119 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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