Book Title: Arhat Vachan 2003 07
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 130
________________ भगवान महावीर फाउण्डेशन द्वारा 'महावीर पुरस्कार' समर्पित दिनांक 22 मार्च 03 को चेन्नई में पाण्डिचेरी के उपराज्यपाल महामहिम श्री के. आर. मलकानी ने अहिंसा एवं शाकाहार, शिक्षा एवं स्वास्थ्य एवं समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिये सन् 2001 एवं 2002 के महावीर पुरस्कार प्रदान किये। समारोह चयन समिति के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री एम. एन. वेंकटाचलैयाजी की अध्यक्षता में व डॉ. एल. एम. सिंघवी, राज्यसभा सांसद, श्वे. जैन साध्वी आचार्या श्री चन्दनाजी, श्री दीपचन्दजी गार्डी, राजर्षि डॉ. वीरेन्द्र हेगड़े (धर्मस्थल) के सान्निध्य में हुआ। वर्ष 2001 के लिये निम्न संस्थानों व व्यक्तियों को पुरस्कार प्रदान किये गये - 1. डॉ. नेमीचन्द जैन, इन्दौर (म.प्र.) - अहिंसा एवं शाकाहार 2. डॉ. एच. सुदर्शन, येलन्दूर, चामराजनगर (कर्नाटक)- शिक्षा एवं चिकित्सा 3. भारत सेवाश्रम संगठन, कोलकाता (प.बं.) - समाजसेवा वर्ष 2002 के लिये निम्न संस्थानों व व्यक्तियों को पुरस्कार प्रदान किये गये - 1. विवेकानन्द राक मेमोरियल, विवेकानन्द केन्द्र, कन्याकुमारी (तमिलनाडु) - शिक्षा एवं चिकित्सा 2. मरूधर महिला शिक्षण संघ, विद्यावाड़ी, जिला पाली (राज.) - शिक्षा 3. डॉ. एस. वी. आदिनारायण राव, विशाखापट्टनम (आ.प्र.) - चिकित्सा पुरस्कार विजेताओं को पाँच लाख रुपये नगद, प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह (भगवान महावीर की मूर्ति) दिया गया। इस अवसर पर महामहिम श्री के. आर. मलकानी ने शाकाहार के महत्व के बारे में बताया व संस्थान के कार्यकलापों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि शाकाहार भोजन की उत्पत्ति में सबसे कम पानी, जमीन व आर्थिक संसाधनों की जरूरत पड़ती है। शाकाहार से जीवन तनाव व तामसिक प्रवृत्तियों से मुक्त रहता है। यदि विश्व शाकाहार पद्धति को अपना ले तो व्यक्तियों व राष्ट्रों के बीच कोई तनाव नहीं होगा, समग्र शान्ति स्थापित हो जायेगी। न्यायमूर्ति श्री वैकटाचलैयाजी ने अपने उद्बोधन में दीन की सेवा में रत संस्थाओं व व्यक्तियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने पुरस्कृत व्यक्तियों व संस्थाओं को बधाई दी। उन्होंने आगे कहा कि सेवा कार्य में लगे हुए संस्थानों व व्यक्तियों का सम्मान करने से और लोग भी प्रोत्साहित होकर आगे आयेंगे। संस्थान के न्यासी श्री जी.एन. दमानी, श्री विनोदकुमर एवं श्री पी.वी. कृष्णमूर्ति ने अतिथियों का स्वागत किया एवं श्री प्रसन्नचन्द जैन ने धन्यवाद ज्ञापन किया। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष (2003) भी महावीर फाउण्डेशन तीन पुरस्कार प्रदान करेगा। प्रत्येक पुरस्कार की राशि पाँच लाख रुपये नगद, प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह (भगवान महावीर की मूर्ति) प्रदान किये जायेंगे। पुरस्कार निम्नांकित तीन क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्यों के लिये दिये जायेंगे - (1) अहिंसा एवं शाकाहार का प्रचार-प्रसार (2) शिक्षा एवं चिकित्सा तथा (3) सामाजिक एवं सामुदायिक सेवा। नामांकन दिनांक 15 अगस्त 2003 के पूर्व फाउण्डेशन कार्यालय में पहुँच जाना चाहिये। केवल भारतीय नागरिक एवं संस्थाएँ, जो कि भारत में स्थित हैं और देश में उत्कृष्ट कार्य कर रही हैं, इन पुरस्कारों की पात्र होंगी। साधारणतया वर्तमान में किये गये कार्य ही पुरस्कार के लिये विचारणीय होंगे। पुरस्कार निर्धारण मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करेगा कि इनके प्रयासों से आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों, जैसे अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति तथा महिलाओं को कितना लाभ मिल रहा है। . सुगालचन्द जैन, न्यासी अर्हत् वचन, 15 (3), 2003 128 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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