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क्षुल्लक जिनेन्द्र वर्णी स्मृति व्याख्यान सम्पन्न
'देश के लगभग सभी क्षेत्रों में स्थानीय आवश्यकता की पूर्ति हेतु पर्याप्त वर्षा होती है किन्तु हमारी लापरवाही एवं खराब जल प्रबन्धन के चलते देश के अनेक हिस्सों में जलाभाव महसूस किया जा रहा है साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की गुणवत्ता भी निरन्तर घट रही है। देश की 75% आबादी के निवास केन्द्रों अर्थात ग्रामों के विकास की कल्पना के बिना देश के विकास की कल्पना हास्यास्पद है। हम गाँवों में बरसने वाले अमृत तुल्य वर्षा जल को जल प्रबन्धन के अभाव में यूँ ही वह जाने देते हैं और बड़े बड़े बांध बनाकर पर्यावरण
प्रो. बनर्जी सम्बोधित करते हुए
वापस लाते हैं" उक्त विचार विश्वविख्यात 14 जनवरी 2003 को कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ अन्तर्गत चतुर्थ व्याख्यान देते हुए व्यक्त समाज प्रगति सहयोग संस्था बागली के
विनाश की भारी कीमत चुकाकर नहरों के माध्यम से पुनः पर्यावरणविद् एवं वनस्पति विज्ञानी प्रो. देवाशीष बेनर्जी ने परिसर में क्षुल्लक जिनेन्द्र वर्णी स्मृति व्याख्यानमाला के किये। उन्होंने बाबा आमटे ग्राम सशक्तीकरण केन्द्र तथा माध्यम से किये गये कार्यों को प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रदर्शित करते हुए यह स्थापित किया कि केवल वाटर रिचार्जिंग से कुछ नहीं होने वाला, हमें ग्राम को एक पारिस्थितिकी इकाई मानकर उस क्षेत्र की वनस्पतियों, कृषि, पशु-पक्षियों, वहां के निवासियों के समग्र विकास की योजना वैज्ञानिक रूप से तैयार करनी होगी। इसके लिए जैन आगमों में प्रतिपादित अहिंसा के सिद्धांत एवं पर्यावरण हितैषी जीवन शैली को मार्गदर्शक बनाना होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रबंध अध्ययन संस्थान के निदेशक प्रो. पी. एन. मिश्र ने की एवं कहा कि इस व्याख्यान का वैशिष्ट्य यह है कि यह व्यावहारिक विषय को लेकर आयोजित किया गया है। पूर्व के विषय सैद्धांतिक थे। मुख्य अतिथि के रूप में पधारकर विश्वविद्यालय के कुलाधिसचिव प्रो. सुधाकर भारती ने कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ की बहुआयामी गतिविधियों की प्रशंसा की। ज्ञातव्य है कि कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ कला एवं विज्ञान संकाय के अन्तर्गत देवी अहिल्या वि.वि. इन्दौर का मान्य Ph.D. शोध केन्द्र है। विज्ञान संकाय के अन्तर्गत मान्य विषयों प्राचीन भारतीय गणित एवं गणित इतिहास तथा पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी विज्ञान सम्मिलित हैं। इस अवसर पर चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के गणित विभागाध्यक्ष प्रो. सुरेशचन्द्र अग्रवाल, कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ के मानद् निदेशक एवं पूर्व कुलपति प्रो. अब्बासी, पूर्व राजदूत डॉ. एन.पी. जैन, प्रो. उदय जैन, प्रो. एस. के. भट्ट, प्रो. संगीता मेहता, प्रो. सरोज कोठारी, प्रो. कल्पना मेघावत तथा नगर के अनेक वरिष्ठ समाजसेवी तथा पत्रकार उपस्थित थे। अतिथियों का स्वागत श्री अजितकुमारसिंह कासलीवाल एवं श्री चन्द्रकुमारसिंह कासलीवाल ने किया।
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अन्त में पूज्य ऐलक श्री निशंकसागरजी महाराज ने क्षुल्लक श्री जिनेन्द्र वर्णी जी के अन्तरंग संस्मरणों को सुनाते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।
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कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ की अकादमिक गतिविधियों एवं शैक्षणिक उपलब्धियों का विस्तृत परिचय देते हुए सभा का संचालन डॉ. अनुपम जैन ने किया ।
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अर्हत् वचन, 15 (3), 2003
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