Book Title: Arhat Vachan 2003 07
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 87
________________ जमीन पर बना वहाँ सिलिका की तह भी पाई गई। संदेश भेजा गया और जो प्रत्युत्तर प्राप्त हुआ उससे निम्नलिखित बातें निर्णीत की जा सकती हैं। - 1. जिस कम्प्यूटर गणित की भाषा हम जानते हैं, वे भी उसे जानते हैं। 2. क्राप फार्मेशन में सिलिकॉन का प्राप्त होना HU 2 सिस्टम को दर्शाता है। 3. हम उनसे कई बातों में संबंधित हैं। 4. आदमी की आकृति देखकर लगता नहीं कि वे हमसे अलग हैं। 5. डिकोडिंग से पता चलता है कि उनकी ऊँचाई 3 फीट 4 इंच के लगभग होनी चाहिये । 6. जनसंख्या 21.3 बिलियन दिखाई गई है जो कि बहुत अधिक लगती है। क्या यह उनके ग्रह की जनसंख्या है या भविष्य की जनसंख्या है। 7. पृथ्वी, मंगल और वृहस्पति पर जीवन है और बौद्धिक जीवन है। रिक्त स्थानों की पूर्ति करना होगी। इन सब बातों का हम यह सार निकालते हैं कि घास पर बने इन क्राप सर्कल से यह बात तो सामने आती है कि इस ब्रह्माण्ड में हम अकेले नहीं हैं। हमें हमारे सिद्धान्त पुनः स्थापित करने होंगे। हमारे अधूरे सूचना ज्ञान के हम कौन हैं? हम यहाँ कैसे आये ? और हमारे उनसे संबंध क्या हैं? जो हमारी बायनरी भाषा के कोड का प्रत्युत्तर दे रहे हैं। एक बात तो निश्चित है दूसरे ग्रह पर जो भी हों, वे हमसे बौद्धिकता में आगे हैं और यह भी निश्चित है कि वे हमारी पृथ्वी की तरह रंग-भेद, घृणा, युद्ध, बेकारी, दूषित पर्यावरण की जिन्दगी में नहीं जी रहे हैं। आज जरूरत है हमें एक साथ रहने की। हमारे ग्रह की एक आवाज में सम्मान के साथ आवाज उठाने की, Cosmic Consciousness की। जैन परम्परा में ढाईद्वीप में जीवन का अस्तित्व स्वीकार किया गया है। सुमेरू पर्वत की प्रदक्षिणा देने वाले विमानों तथा जम्बूद्वीप एवं धातकीखंड द्वीप के अनेक क्षेत्रों में जीवन की विस्तृत चर्चा है। इन विवेचनों के परिप्रेक्ष्य में इन घटनाओं का विश्लेषण उपयोगी रहेगा। संशोधनोपरांत प्राप्त - 28.07.03 अर्हत् वचन, 15 (3), 2003 Jain Education International - * वाईस प्रेसिडेन्ट - प्रेस्टीज ग्रुप 'मन कमल', 104, नेमीनगर, इन्दौर - 452009 For Private & Personal Use Only 85 www.jainelibrary.org

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