Book Title: Arhat Vachan 2003 07
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 109
________________ आख्या अर्हत् वचन कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर) ज्ञानोदय फाउन्डेशन एवं ज्ञानोदय पुरस्कार समर्पण समारोह - इन्दौर, 3 मई 2003 . सूरजमल बोबरा* स्व. श्रीमती शांतादेवी रतनलाल बोबरा की स्मृति में स्थापित ज्ञानोदय फाउन्डेशन द्वारा कन्दकन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर के मार्गदर्शन में प्रवर्तित ज्ञानोदय पुरस्कार की स्थापना जैन इतिहास के क्षेत्र में मौलिक शोध कार्यों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 1998 में की गई थी। इस पुरस्कार के अन्तर्गत वर्तमान में जैन इतिहास के क्षेत्र में चयनित कृति के लेखक को रु. 11,000.00 की नगद राशि, शाल, श्रीफल एवं प्रशस्ति से सम्मानित किया जाता है। अब तक निम्नांकित विद्वानों को उनकी विशिष्ट कृतियों हेतु सम्मानित किया जा चुका है। 1998 डॉ. शैलेन्द्र रस्तोगी, लखनऊ (उ.प्र.) पूर्व निदेशक- रामकथा संग्रहालय, फैजाबाद 'जैनधर्म कला प्राण ऋषभदेव और उनके अभिलेखीय साक्ष्य' 1999 प्रो. हम्पा नागराजय्या, बैंगलोर (कर्नाटक) वरिष्ठ इतिहासकार A History of Rastrakūtās of Malkheda and Jainism'. 2000 डॉ. अभयप्रकाश जैन, ग्वालियर (म.प्र.) बहुश्रुत लेखक एवं शोधक 'स्तूपों की जैज परम्परा और उनके स्थापत्य' 2001 श्री सदानन्द अग्रवाल, मेण्डा (ओड़ीसा) समर्पित शोधक विद्वान 'श्री खारवेल' आगामी पंक्तियों में हम ज्ञानोदय फाउन्डेशन, पुरस्कार समर्पण समारोह एवं सद्य: पुरस्कृत दोनों कृतियों का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं। - ज्ञानोदय फाउन्डेशन भारतीय इतिहास के निर्माण में इतिहासकारों को बहत लम्बे समय TV तक केवल साहित्य पर अवलम्बित रहना पड़ा किन्तु इस क्षेत्र में बड़ी क्रांति तब हुई जब देश के विभिन्न भागों में बिखरे हुए शिलालेखों, ज्ञानोदयकाउल ताम्रपत्रों और मुद्राओं आदि के रूप में पुरातत्व विषयक सामग्री उपलब्ध भारत से जुड़े विदेशी साहित्य की जानकारी प्राप्त हुई। इन सबके प्रभाव से भारतीय इतिहास के क्षेत्र में एक व्यवस्था आ गई। अनेक विस्मृत कड़ियाँ जुड़ गई। नए - नए राजा महाराजाओं और राजवंशों का पता चला और इन सबसे बड़ी उपलब्धि यह हुई कि इतिहास के प्राणभूत कालक्रम का सुदृढ़ आधार प्राप्त हो गया। मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त, दस शताब्दी तक अज्ञात अर्हत् वचन, 15 (3), 2003 107 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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