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जैन पांडुलिपियों की राष्ट्रीय पंजी (रजिस्टर) का निर्माण
भगवान महावीर 2600 वाँ जन्म जयन्ती महोत्सव वर्ष के कार्यक्रमों की श्रृंखला में संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives), दिल्ली के माध्यम से देश के विविध अंचलों में विकीर्ण जैन पांडुलिपियों की विस्तृत सूची तैयार करने का निश्चय किया गया, जिससे इन पांडुलिपियों के संरक्षण, अनुवाद, आलोचनात्मक अध्ययन का पथ प्रशस्त हो सके।
शासन द्वारा निर्धारित विस्तृत प्रारूप में कम्प्यूटर पर जैन पांडुलिपियों की राष्ट्रीय पंजी के निर्माण का कार्य राष्ट्रीय स्तर पर चयनित 5 संस्थाओं के माध्यम से प्रारम्भ किया जा चुका है। कार्य की सुविधा की दृष्टि से सम्पूर्ण देश को 5 भागों में विभाजित किया गया है। मध्य क्षेत्र मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र अंचल में यह कार्य कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ,
इन्दौर को प्रदान किया गया है।
इस योजना में पांडुलिपियों के स्वामित्व, अधिकार एवं संरक्षण स्थल में कोई परिवर्तन नहीं किया जायेगा, वे जहाँ, जिसके स्वामित्व में हैं, वहीं संरक्षित रहेंगी। मात्र उनके बारे में जानकारी संकलित कर राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध कराई जायेगी जिससे अध्येता इसकी जानकारी प्राप्त कर आवश्यकतानुसार अध्ययन हेतु उनका उपयोग कर सकें। दुर्लभ एवं महत्वपूर्ण पांडुलिपियों के संरक्षण हेतु भविष्य में शासन का सहयोग भी प्राप्त होने की संभावना है।
अतः जैन पांडुलिपियों के भंडारों के प्रबन्धकों एवं उन समस्त व्यक्तियों, जिनके सरक्षण में जैन पांडुलिपियाँ हैं, से अनुरोध है कि वे निम्नांकित जानकारी प्रदान कर अनुग्रहीत
करें
1.
भंडार का नाम व पता
2. भंडार के प्रबन्धक का नाम एवं पता
3. भंडार में उपलब्ध पांडुलिपियों की संख्या
4.
76 Jain Education International
क्या केटेलाग (सूची) प्रकाशित है। ? हाँ / नहीं.
5.
पत्राचार हेतु पूर्ण पता (पिनकोड सहित ) 6. फोन नं. कोड सहित
जानकारी प्राप्त होने पर हमारे प्रतिनिधि आपके पास आकर पूर्ण विनय एवं सावधानी के साथ सूचीकरण का कार्य सम्पन्न करायेंगे। इस प्रक्रिया में आपका भंडार भी व्यवस्थित हो जायेगा तथा पांडुलिपियों की कम्प्यूटरीकृत सूची भी आपको उपलब्ध हो जायेगी। हम मात्र सूची की एक प्रति अपने साथ लायेंगे ।
कृपया सहयोग कर जिनवाणी संरक्षण के इस कार्य में हमें सहयोग प्रदान करें।
देवकुमारसिंह कासलीवाल
अध्यक्ष
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डॉ. अनुपम जैन मानद सचिव
अर्हत् वचन, 15 (3), 2003
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