Book Title: Arhat Vachan 2003 07
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 70
________________ भी मूल्यवान जानकारी उपलब्ध है एवं इस संदर्भ में जैनाचार्यों द्वारा किए गए उल्लेख मिकी (Geology) के संदर्भ में जैनाचार्यों के ज्ञान को व्यक्त करती है। अद्यतन मुझे भूगर्भ शास्त्र या भौमिकी पर कोई स्वतंत्र ग्रंथ देखने को नहीं मिला तथापि रत्नशास्त्र विषयक कई ग्रंथ देखने को मिले हैं। 20 आचार्य कुंदकुंद कृत 'पंचास्तिकाय' आदि ग्रंथों में षट् द्रव्यों की चर्चा के संदर्भ काल की सूक्ष्मतम इकाई समय, क्षेत्र की सूक्ष्मतम इकाई प्रदेश एवं पुद्गल के सूक्ष्मतम अंश परमाणु को परिभाषित किया गया हैं । जघन्य और उत्कृष्ट के माध्यम से इन इकाईयों सीमांत मानों एवं परमाणु की गतियों की भी चर्चा है। वस्तुतः पुद्गल विषयक यह वेवेचन सापेक्षता के सिद्धांत तथा प्रयुक्त गणित एवं भौतिकी के अनेक सिद्धांतों का आधार ने हैं। 21 आचार्य समंतभद्र कृत 'आप्तमीमांसा' में जहां प्रायिकता के सिद्धांत अवक्तव्य के संदर्भ में विवेचित हैं वहीं जैन परम्परा का परमाणु द्रव्य का अविनाशी अविभाज्य अंग है। वह वर्तमान भौमिकी के परमाणु से बहुत अधिक सूक्ष्म है। भौतिकी में वर्तमान में प्रचलित परमाणु तो जैन परम्परा के स्कंध हैं। विज्ञान भी वर्तमान परमाणु के अनेक खण्ड कर चुका है। आचार्य उमास्वामी ने दूसरी शताब्दी में 'उत्पादव्ययघ्रौव्य' के रूप में द्रव्य की अविनाशिता का सिद्धांत स्थापित किया था वहीं अन्य अनेक आचार्यों की कृति में जड़त्व का नियम, स्थतिज उर्जा का नियम, उत्प्लावन का नियम एवं गति के नियम उपलब्ध होते हैं। संक्षिप्तः जैनाचार्यों द्वारा प्रणीत साहित्य जो कि जैन शास्त्र भंडारों में संरक्षित है, में ज्ञान की अनेक शाखाओं का ज्ञान निहित है। विगत 3-4 दशकों में जैन शास्त्र भंडारों के सूचीकरण तथा उसमें निहित ज्ञान संपदा को प्रगट करने के कुछ प्रयास अवश्य हुए हैं, किन्तु उनमें से अधिकांश मात्र सूचीकरण तक ही सीमित रह गए हैं। स्वयं हमने लगभग 80 ऐसे सूची पत्रों की सूची तैयार की है। हम यहां जैन भंडारों की सूचियों को लिपिबद्ध कर रहे हैं. - कुछ 1. जिनरत्नकोश - भाग - 1, भण्डारकर ओरियन्टल रिसर्च इंस्टीटयूट, पूना 1994 भाग 2. कन्नड प्रांतीय ताड़पत्रीय ग्रंथ सूची भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली - 1947 68 - Jain Education International - 3. राजस्थान के जैन शास्त्र भंडारों की ग्रंथ सूची कासलीवाल, प्रबंधकारिणी समिति, दिग. जैन अतिशय क्षेत्र 1957, 1962, 1972 4. दिल्ली जैन ग्रंथ रत्नावली संकलन- प्राचार्य कुंदनलाल जैन, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली - 1981 5. श्री जैन सिद्धांत भवन ग्रंथावली भाग 1-2, संपादक डॉ. ऋषभचंद जैन 'फौजदार', जैन सिद्धांत भवन, आरा 1987। 6. अनेकान्त भवन ग्रंथावली, भाग 13 अनेकान्त ज्ञान मंदिर, बीना, 2002 - - 1, संकलन - पं. के. भुजबली शास्त्री, भाग - 15 सं. डॉ. कस्तूरचंद श्री महावीर जी, 1949, 1954, इसके अतिरिक्त डॉ. कस्तूरचंद कासलीवाल ने अपने शोध प्रबंध Jain Granth Bhandaras in Rajasthan में राजस्थानों के जैन ग्रंथ भंडारों में निहित ज्ञान राशि एवं उसके वैशिष्ट्य का विवेचन किया हैं । आज आवश्यकता इस बात की है कि जैन शास्त्र भंडारों में संग्रहीत अर्हत् वचन, 15 (3), 2003 - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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