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प्रस्तुत प्रकरण पर डॉ. कृष्णानंद त्रिपाठी का यह कथन कि भुवनेश्वर के कपिलेश्वर गांव के समीप वाले लुम्बिनी को भगवान बुद्ध की जन्म स्थली बताकर इतिहासकारों और पुरातत्ववेत्ताओं ने जहाँ अनावश्यक विवाद खड़ा कर दिया वहीं बौद्ध तीर्थयात्रियों और सैलानियों को असमंजस की स्थिति में डाल दिया है।' अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं विचारणीय है क्योंकि इससे परम्परा भंग हो रही है।
सामयिक रूप से यहाँ उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि जैन धर्म के 24 वें एवं अंतिम तीर्थंकर महावीर की जन्मभूमि के बारे में 20 वीं शताब्दी में प्रश्नचिन्ह लगाया गया है। परम्परागत रूप से मान्य भगवान महावीर की जन्मभूमि कुण्डलपुर ( वर्तमान बिहार प्रान्त के नालन्दा जिले) के बारे में कतिपय इतिहासकारों द्वारा विवाद उत्पन्न कर वैशाली या उसके आस - पास जन्मभूमि को तलाशने के प्रयासों ने भी तीर्थयात्रियों एवं श्रद्धालुओं के सम्मुख भ्रम की स्थिति निर्मित कर दी है। यद्यपि आज भी 95% तीर्थयात्री परम्परामान्य जन्मभूमि कुण्डलपुर ( नालन्दा) की वन्दना करने जाते हैं। तथापि इस प्रकार के प्रयासों से भ्रम तो बनता ही हैं। इतिहासकारों को जन श्रद्धा एवं आस्था के केन्द्रों पर अपना अभिमत व्यक्त करने से पूर्व जन भावनाओं को भी ध्यान में रखना चाहिये ।
Dear Sir,
1 had
receiving your letter dated Feb.27 which
contained good news from you and "Kind या लिछुवाड, केवलज्ञान भूमि राजगृही also beg to acknowledge या अन्य निर्वाण भूमि पावापुरी (बिहार)
wishes for me. I
Mr. K.P.Modi sent Kundalpur.
Hoping you well
Bonn 29th march 1911 59 Niebubro trasse
much
ceipt of materia), which contains useful informat†on of Nalanda and Kundalpur being या पावापुरी ( पडरौना ) या पावागढ
birthplace of Lord Mahavira. It becomes very useful to me, in many ways. You have urged me to rewrite my article on "Jainism"
फजिल्का साठियांवाह निकट देवरिया
in the Encyclopedia of religion & ethics Regarding Kundalpur near lalanday there are
some references in Tiloipanntti, I agree with them.
(उ.प्र.) मात्र इतना ही क्यों ? जन- जन की आस्था के केन्द्र 20 तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि परम पावन तीर्थ सम्मेदशिखर पर भी तिवारी बन्धुओं ने विवाद खड़ा करने की कोशिश की है। (देखें: तित्थयर (कोलकाता), वर्ष - 10, अंक - 3, जुलाई 1986,
some photographs of पृ. 69-81) डॉ. हरमन जैकोबी
का नाम वैशाली को भगवान महावीर की जन्मभूमि मानने वालों की श्रेणी में प्रमुखता से रखा जाता है किन्तु गत माह डॉ. अभयप्रकाश जैन ने हमें डॉ. जैकोबी का शिवपुरी संग्रहालय में संरक्षित एक पत्र भेजा है
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यह जैन समाज का दुर्भाग्य है कि भगवान महावीर की जन्मभूमि, केवलज्ञान, निर्वाणभूमि तीनों के बारे में कतिपय इतिहासज्ञों ने विवाद पैदा कर दिया है। जन्मभूमि कुण्डलपुर pleasure in the (नालन्दा) या वैशाली या बासोकुण्ड
'I hoper however to induce Prof.w. Sohribring whic is without doubt our best Jain scholer. historian, well groomed in Siddhanta to undertake __similar work.
fani sure that he will do important work for Jain world.
Jain Education International
Le
अर्हत् वचन, 14 (23), 2002
I remain yours sincerely
Mharati parshi..
(HERMANN JACOBI )
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