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27. भारत का वृहत् इतिहास, भाग - 1, प्राचीन भारत, मजूमदार राय चौधरी, हेमचन्द राय चौधरी,
दत्त - मेकमिलन इंडिया लिमिटेड, दिल्ली। 28. प्राचीन भारत, एल. पी. शर्मा, शिवलाल अग्रवाल एण्ड कं., आगरा। 29. Ancient India, V.D. Mahajan, S. Chand & Co., New Delhi. 30. संस्कृत हिन्दी कोश, वामन शिवराम आप्टे, मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली।
इन पुस्तकों में जो आपत्तिजनक बातें निहित हैं वे प्रमुखत: निम्न हैं - 1. जैन धर्म के संस्थापक भगवान महावीर थे। 2. जैन धर्म बौद्ध धर्म के समकालीन धर्म है। 3. जैन धर्म अनीश्वरवादी (नास्तिक) धर्म है। 4. जैन धर्म हिन्दू धर्म की एक शाखा है। 5. बौद्धों के समान जैन लोग भी आरंभ में मूर्तिपूजक नहीं थे। 6. तीर्थंकरों की, जो अधिकांशत: मध्य गंगा मैदान में उत्पन्न और बिहार में निर्वाण को
प्राप्त हुए, मिथक कथा जैन सम्प्रदाय की प्राचीनता सिद्ध करने हेतु गढ़ ली गई है। 7. जैन धर्म के उद्भव का यथार्थ कारण है पूर्वोत्तर भारत में एक नई कृषिमूलक अर्थव्यवस्था
का उदय। ब्राह्मणों की कानून की किताबों में सूद पर धन लगाने के कारोबार की निन्दा के कारण जो वैश्य व्यापार/वाणिज्य में वृद्धि होने के कारण महाजनी करते थे, आदर नहीं पाते थे किन्तु अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने को उत्सुक थे, उन्होंने जैन धर्म की मदद
की। 9. पार्श्वनाथ वस्त्र धारण करने के विरोधी नहीं थे किन्तु महावीर ने सांसारिकता से पूर्ण
अनासक्ति के लिये नग्न रहना आवश्यक समझा। 10. दिगम्बर सम्प्रदाय में स्त्री तपस्वी, जिसे साध्वी कहा जाता है, नहीं होती है। __ अहिंसा का एक आर्थिक परिणाम यह हुआ कि इस समुदाय के भोले-भाले लागों ने
खेती करना इसलिये बन्द कर दिया कि हल चलाते कहीं वे जीव की हत्या न कर
बैठें। इसीलिये वे अहिंसक पेशे यथा व्यापार और साहूकारी की ओर मुड़ गये। 12. हस्तिनापुर के राजा दुष्यन्त एवं रानी शकुन्तला के पुत्र भरत के नाम पर इस देश
का नाम भारत पड़ा। 13. वर्द्धमान (भगवान महावीर) की पत्नी का नाम यशोधा एवं बड़े भाई का नाम नन्दिवर्द्धन
था एवं बड़े भाई की आज्ञा से ही उन्होंने सन्यास ग्रहण किया। (एक पक्षीय विचारधारा) 14. भगवान महावीर की पुत्री का नाम अणोज्जा या प्रियदर्शना एवं दामाद जामलि थे। (एक
पक्षीय विचाराधारा)
यदि हमें विश्व समुदाय के साथ प्रगति करनी है तो यत्नपूर्वक परम्परा का संरक्षण करना होगा। जैन धर्म एवं संस्कृति की महान परम्पराओं के साथ जहां भी छेड़छाड़ हो, आपत्तिजनक प्रकाशन हो, अनर्गल प्रलाप हो उसे यत्नपूर्वक रोकना होगा। महापुरुषों की जन्मभूमियों पर विवाद - अर्हत् वचन, 14 (2 - 3), 2002
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