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३) आहारपरिण्णा गद्य
(आहारपरिज्ञा)
४) पच्चक्खाणकिरिया गद्य ११
(प्रत्याख्यानक्रिया)
५) आयारसुय
(आचारश्रुत)
६) अद्दइज्ज
(आर्द्रकीय)
७) नालंदइज्ज
( नालन्दीय)
पद्य
पद्य
२९
गद्य
३३
५५
४०
१४६
एकेन्द्रिय से लेकर पंचेन्द्रिय
तक के जीवों के आहार का विवेचन ।
अठारह पापों के प्रत्याख्यान
करने या न करने से लाभ
और हानि ।
आचार और अनाचार का
प्रतिपादन ।
आर्द्रककुमार का विविध
मतावलंबियों से संवाद तथा
शुद्ध संयममार्ग में दीक्षित
होना ।
नालन्दा उपनगर में
पार्श्वापत्यीय श्रमण उदक
तथा गौतम गणधर में
वार्तालाप ।