Book Title: Arddhmagadhi Aagama che Vividh Aayam Part 01
Author(s): Nalini Joshi
Publisher: Firodaya Prakashan

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Page 232
________________ क) श्वेत कमल की उपमा के माध्यम से धर्म, धर्मतीर्थ तथा निर्वाण के महत्त्व को समझानेवाला, एक ललित काव्य । कल्पना का रसास्वाद करानेवाला द्वितीय श्रुतस्कन्ध का प्रथम पुण्डरीक' अध्ययन । आधारस्तम्भ, तीन तत्त्व हैं - जीव, जगत्, आत्मा । परन्तु भारतीय संस्कृति मुख्य रूप से आत्मा के इर्दगीर्द घूमती है । आत्मा के बन्धन एवं मुक्ति ही प्रत्येक धर्मदर्शन का लक्ष्य है । आत्मवाद, कर्मवाद, परलोकवाद, मोक्षवाद इन चार विचारों में भारतीय दर्शनों के सामान्य सिद्धान्त समाविष्ट होते हैं । उस समय कितनी धारणाएँ और मतमतान्तर चलते थे ? ३६३ मत थे । भ. महावीर ने सभी मान्यताओं को, स्याद्वाद की स्थापना कर, समन्वय करते हुए उस युग को प्रभावित किया । उनकी मान्यताएँ मात्र बौद्धिक ही नहीं, व्यावहारिक भी हैं । यद्यपि सूत्रकृतांग जैनदर्शन का ग्रन्थ है, फिर भी उसमें जैनेतर मान्यताओं का विवेचन इसलिए प्रासंगिक है कि साधक विभिन्न धारणाओंमान्यताओं को समझकर, यथार्थ को सम्पूर्ण आस्था और श्रद्धा के साथ स्वीकार करे । क्योंकि मिथ्यात्व की बेडी सबसे भयानक है । ३) दार्शनिक संवाद - यह एक दार्शनिक संवाद है जो उपनिषदों के शैली की याद दिलाता है । द्वितीय श्रुतस्कन्ध का छठाँ 'आर्द्रकीय' अध्ययन पाँचों मतावलम्बियों (गोशालक, बौद्धभिक्षु, ब्राह्मण, एकदण्डी, परिव्राजक (सांख्य), हस्तितापस) के साथ आर्द्रककुमार का जो वाद-प्रतिवाद हुआ, उसका इसमें संकलन है । इसमें आर्द्रकमुनि सरस-कथा शैली में, संवादों के रूप २२४

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