Book Title: Arddhmagadhi Aagama che Vividh Aayam Part 01
Author(s): Nalini Joshi
Publisher: Firodaya Prakashan

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Page 199
________________ (७) सूत्रकृतांग में प्रतिबिम्बित सामाजिक अंश — कुमुदिनी भंडारी जब हम किसी भी ग्रन्थ का, साहित्य का अध्ययन करते हैं, तब अनायास ही हमें उसमें अनेक आयामों का दर्शन होता है। सैद्धान्तिक, तात्त्विक, वर्णनशैली, कथासाहित्य, छंदोबद्धता, तत्कालीन सामाजिक परिस्थिति इत्यादि अनेक पहलूओं पर प्रकाश पडता है । सूत्रकृतांग (२) भी इसे अपवाद नहीं है । इसमें भी अनेक आयामों का दर्शन होता है । मैंने सामाजिक परिस्थिति का आयाम चुना है । तत्कालीन समाज इसमें कैसे झलकता है इसका शोध लेने का प्रयत्न किया है । सूत्रकृतांग (२) के प्रथम पुण्डरीक अध्ययन में पुष्करिणी का अत्यन्त मनमोहक वर्णन है । यह वर्णन तत्कालीन समाज के सौंदर्यदृष्टि का दिग्दर्शन कराता है । जगह-जगह सुन्दर पुष्करिणियाँ होती थी । कमल के फूल का सामाजिक जीवन पर बडा ही प्रभाव था । पानी में रह कर भी अलिप्त रहने के उसके स्वभाव की उपमा, साधुओं को दी जाती थी । 'कमल' हासिल करने आये हुए सभी दिशाओं के पुरुष क्रम से तज्जीवतच्छरीरवादी, पंचमहाभौतिकवादी, ईश्वरकारणिकवादी और नियतिवादी हैं । तत्कालीन समाज में ऐसी भिन्न-भिन्न परम्परा, विचारधाराएँ थी । उनकी एकदूसरे के साथ चर्चाएँ चलती थी, वाद-प्रतिवाद होता था, आरोप-प्रत्यारोप, उसका समाधान होता रहता था । हालाँकि उसको खण्डन - मण्डन का कठोर तार्किक स्वरूप नहीं था । हर एक परम्परा की मान्यता और आचरण अलग-अलग था । जैन श्रमण १९१

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