________________
उदकशाला के वर्णन से हमें तत्कालीन वास्तुकला का उत्कर्ष नजर आता है ।
पुण्डरीक अध्ययन में 'राजा' का वर्णन है । उससे तत्कालीन राज्यव्यवस्था पर प्रकाश पडता है । राजा अत्यन्त कर्तव्यप्रिय होते थे । शूरवीरता उनके अंग में कूटकूट के भरी हुई थी । राजा और धर्म का सम्बन्ध बहुत गहरा था । राजा धार्मिक हुआ करते थे । राजाश्रय पाने से धर्मप्रसार आसान होता है इसलिए हर कोई राजा को प्रभावित करके अपने-अपने धर्म की प्रभावना करने का प्रयत्न करता था ।
इसके विपरीत ‘क्रियास्थान' अध्ययन में विविध सामाजिक दुष्प्रवृत्तियों का चित्रण है । ऐसे सामाजिक गुनाह तब भी थे, आज भी है । सिर्फ स्वरूप का बदलाव आया है । ये तो एक-ही सिक्के के दो पहलू हैं ।
१९४