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५०) सूत्रकृतांग (२) के अध्ययनों का विषयानुसारी महत्त्व ५१) अप्रत्याख्यान आणि प्रत्याख्यान : एक चिंतन ५२) सूत्रकृतांग (२) : काही विशेष व्यक्तिरेखा ५३) आर्द्रक-गोशालक के आक्षेप और समाधान
( सवाल-जवाब के रूप में)
५४) सूत्रकृतांग : एक संपूर्ण आगम
५५) सूत्रकृतांग (२) : एक चिंतनसप्तक
५६) आर्द्रकाचे गोशालकाला उत्तर
५७) वनस्पतिविचार : जैन दर्शनाच्या संदर्भात
५८) प्रत्याख्यानक्रिया
५९) ‘आचारश्रुत' अध्ययन का महत्त्व
६०) प्रत्याख्यान : एक आवश्यक
६१) 'पुण्डरीक' अध्ययनात स्वमताचे मंडन
६२) 'आचारश्रुत' का मुख्य आशय
६३) ‘आचारश्रुत’ अध्ययन का महत्त्व
६४) पद्यमय ‘आर्द्रकीय' अध्ययन
६५) मला भावलेले आचारश्रुत
६६) आया अपच्चक्खाणी : भावार्थ
६७) आर्द्रक - गोशालक संवाद
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मुथा अनीता
मुथा कल्पना
मुथा ज्योत्स्ना
नहाटा संगीता
नहार संगीता निर्वाण अर्जुन
ओसवाल ललिता
पारख सुरेखा
पोकरणा लीलावती
शहा जयबाला
शिंगवी पुष्पा
शिंगवी रंजना
शेटिया राजश्री
श्रीश्रीमाळ ब्रिजबाला
समदडिया चंदा
संचेती लीना
सुराणा सीमा
सोलंकी वैभवी