Book Title: Anusandhan 1996 00 SrNo 06
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 15
________________ पुंडरियज्झयणे रेवयवणुद्देसो ॥ छव्वीस वीस सोलस दस दुग जोयण धणुस्स [य] पमाणे । अवसर्पि (प्पिणीइ एव (वं ) उस्सप्पिणीए य वुद्ध गुणं ॥ एव(वं)म (अ)णंततित्थगरसेणीए फासियं इमं तित्थं । उज्जलसिहरत्त (ते) णं विक्खायं तं महातित्थं ॥ [10] पुंडरीयज्झयणे चउउद्देसो वेमि ॥ को सो अरिट्ठनेमी कयाइ वि समोसढो कहिं काले । कइसंजुओ य सिद्धो गोयमपम्हे (व्हे) जिणो आह || धण - धणवइ सोहम्मे चित्तगई - रयणवई दईया । माहिंदे अवराई (इ)य पीतिमई आरणे कप्पे | संखो जसोमइ भज्जा अवराई (इ)य नेमि राइमई । तित्थगरे सिद्धे वि य दसमे य गणनाहा ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं सोरियपुरम्मि नयरे हरिवंसमुत्ताहल समुद्दे (द्द) विजयस्स स्नो देवीए सिवाए अपराई (इ) य विमाणाउ कत्तियकन्हदुवालसीए चे (चित्तरिक्खे भगवं अरिनेमिं (मी) कुच्छि अवइत्रे । तं समयं सव्व तिहूयणाणंदे जाए। चउद्दस महासुमिणाउ वि जगुज्जोयकारगं नाऊण सव्व सव्वं विहिं (?) सव्वारिट्ठविणासणे सावणसियपंचमीए चित्तरिक्खम्मि भगवं अरिट्ठनेमी जाए। गंधोदयवासं कुसुमवास (सं) सुवन्नवासं । तस (स्स) मयं छप्पन्ना दिसाकुमारीओ सूइकम्मं कुणंति । तउ णं सोहम्मे सक्केण मेरुसिहरि दाहिणम्मि पंडुका (कं) वलंसि उत्संगे काऊणं सुमंगलतूरपुरस्सरं जम्माभिसेग्रं (यं) काऊण दिव्व चंदण - वत्थ- पुप्फारुहण - धूव - वलि - अट्ठमंगल - आरि(र) त्तिय - मंगल्लगीय - नट्ठ (ट्ट) पुरस्सरं ऊसवं करिति । तऊ णं अम्माए उत्संगे मुत्तूण उज्जिलसिहरम्मि अरिट्ठनेमि पडिमाए अट्ठाहियं काऊण नंदीसरं गया । जउ य - कंचणगिरिम्मि जम्मू-सवो अरिहंत सिढिवग्गाणं । कल्लाणतिगं उज्झिलसिहरम्मि महापवित्तमिणं ॥ नरिंदवणे ऊसविति सव्व जायव जायवा (वी) उ खिल्लेति । दसमे दिवसे अरिनेमिं घोसित । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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